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ये कैसा अस्पताल? न स्टाफ न सुविधाएं, एंबुलेंस का भी टोटा, मुंह चिढ़ा रहा दुर्ग का ग्राम अस्पताल

Durg Gram Hospital: दुर्ग जिला मुख्यालय से महज 25 किमी दूर उतई के ग्राम चिकित्सालय पर 3 लाख की आबादी की निर्भरता है, लेकिन अस्पताल में न पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही मूलभूत सुविधाएं हैं. यहां तक आपात स्थिति में मरीज को चिकित्सालय तक पहुंचाने के लिए एक अदद एम्बुलेंस तक नहीं है.

ये कैसा अस्पताल? न स्टाफ न सुविधाएं, एंबुलेंस का भी टोटा, मुंह चिढ़ा रहा दुर्ग का ग्राम अस्पताल
No staff, no facilities in Durg Gram hospital

CG Gram Hospital: छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होने का दावा सरकारें करती हैं, लेकिन दुर्ग जिले का ग्राम चिकित्सालय की हकीकत सरकार को मुंह चिढ़ा रही हैं. बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा सरकारें करती हैं, लेकिन ग्राम चिकित्सालय की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का हाल निराश करती हैं,जहां न स्टॉफ है और न सुविधाएं.

दुर्ग जिला मुख्यालय से महज 25 किमी दूर उतई के ग्राम चिकित्सालय पर 3 लाख की आबादी की निर्भरता है, लेकिन अस्पताल में न पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही मूलभूत सुविधाएं हैं. यहां तक आपात स्थिति में मरीज को चिकित्सालय तक पहुंचाने के लिए एक अदद एम्बुलेंस तक नहीं है.

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ग्राम चिकित्सालय का भयावह मंजर देख दंग रह गई एनडीटीवी की टीम

दुर्दशा की मार झेल रहे उतई के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में जिम्मेदारों से बातचीत के लिए अस्पताल पहुंची एनडीटीवी की टीम उस वार्ड में पहुंची, जहां भर्ती मरीजों का इलाज किया जाता है, लेकिन वहां की भयावह तस्वीरें देखकर एनडीटीवी की टीम दंग रह गई. स्वास्थ्य केन्द्र के उस वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए न पर्याप्त लाइटें थी और न ही फैन.

40 से 45 डिग्री तापमान में बिना लाइट और फैन रहने को मजबूर हैं मरीज

गौरतलब है ये हालात राज्य के अस्पताल की है, जहां पिछली सरकार में एक अधिकारी ने अपने 400 स्क्वायर फीट के एक कमरे को लग्जरी बनाने के लिए 40 लाख रुपए खर्च कर दिए थे. सोचकर ही रूह कांप जाती है कि यहां भर्ती मरीज 40 से 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में बिना पंखे के कैसे दिन गुजारते होंगे. 

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अस्पताल में स्वास्थ्य संबंधी मूलभूत व्यवस्था का आलम यह है कि मरीज को यदि एक्स रे करवाना है तो उसकी फिल्म उसे खुद लानी होगी. यही नहीं, आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल लाने के लिए सबसे जरूरी सुविधाओं में से एक एंबुलेंस की व्यवस्था तक नहीं है. 

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स्वास्थ्य केंद्र में होने चाहिए 10 डॉक्टर्स, ढूंढने से बमुश्किल मिलेंगे 3 डाक्टर

रिपोर्ट के मुताबिक दुर्दशा की शिकार उतई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 10 डॉक्टर्स होने चाहिए, जिसमें 5 मेडिकल ऑफिसर और 5 स्पेशलिस्ट, लेकिन यहां ढूंढने से बमुश्किल सिर्फ 3 डाक्टर ही मिलेंगे. स्टाफ की कमी से यहां बच्चों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है. यहां 2 मेडिकल ऑफिसर, 1 स्पेशलिस्ट, शिशु रोग, हड्डी रोग विशेषज्ञ पद रिक्त हैं.

संसाधनों के अभाव में हमर लैब के ब्लड स्टोरेज रूम लटका रहता है ताला

ग्राम चिकित्सालय में स्वास्थ्य संबंधी जरूरी जांच के लिए अस्पताल परिसर में हमर लैब संचालित है. हमर लैब में ब्लड स्टोरेज रूम है, लेकिन उचित संसाधनों के अभाव में हमेशा ताला लटका रहता है. 1 साल से रिएजेंट नहीं होने खून संबंधी जांच नहीं हो रही है. लैब में किडनी फंक्शन टेस्ट, लीवर फंक्शन टेस्ट इसलिए नहीं हो रहें, क्योंकि लैब इंजार्च पद रिक्त है

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दुर्दशा की शिकार दुर्ग जिले के उतई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 10 डॉक्टर्स होने चाहिए, जिसमें 5 मेडिकल ऑफिसर और 5 स्पेशलिस्ट, लेकिन यहां ढूंढने से बमुश्किल सिर्फ 3 डाक्टर ही मिलेंगे. स्टाफ की कमी से यहां बच्चों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है.

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सुविधाओं का आभाव, स्टाफ की कमी, यही है दुर्ग ग्राम अस्पताल की पहचान

अस्पताल में स्वास्थ्य संबंधी मूलभूत व्यवस्था का आलम यह है कि मरीज को यदि एक्स रे करवाना है तो उसकी फिल्म उसे खुद लानी होगी. यही नहीं, आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल लाने केलिए सबसे जरूरी सुविधाओं में से एक एंबुलेंस की व्यवस्था तक नहीं है. सुविधाओं की कमी, स्टाफ की कमी अब उतई सरकारी अस्पताल की पहचान बन चुकी है.

गंदगी दिखने के डर से मरीज के बेड पर इस्तेमाल नहीं की जाती सफेद चादर

अस्पताल परिसर में बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए जनरेटर है, लेकिन एक साल से खराब है. अस्पताल के कई कमरों में बिजली की वायरिंग इतनी पुरानी और जर्जर है कि हर समय शॉर्ट सर्किट का खतरा मंडराता रहता है. अस्पताल के वार्डों में साफ- सफाई का बुरा हाल है. गंदगी दिखने के डर से मरीज के बेड पर सफेद चादर इस्तेमाल नहीं की जाती.

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