बीजापुर में नक्सलियों के खिलाफ कई सफल ऑपरेशन चलाने वाले 2008 के आईपीएस प्रशांत अग्रवाल की कहानी लोगों को प्रेरणा देने वाली रियल लाइफ की कहानी है. बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रशांत अग्रवाल का जन्म सूरजपुर जिले के भैयाथान गाँव में हुआ था. पिता जी की गांव में ही एक मेडिकल दुकान चलाते हैं. प्रशांत अग्रवाल बताते हैं कि उनकी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई. पांचवी के बाद नवोदय विद्यालय में उनका एडमिशन हो गया और नवोदय में पढ़ने के समय उनकी मैथ्स में रूचि को देखते हुए उनके शिक्षक ने इंजीनियरिंग करने की सलाह दी थी है. 12वीं के बाद IIT का एग्जाम दिया और उनका IIT खड़गपुर में चयन हो गया. वहां से BE इलेक्ट्रिकल से से करने के बाद वे UPSC की तैयारी के लिये दिल्ली चले गए. और 2008 में UPSC दूसरे प्रयास में क्लियर की और उनका IPS में चयन हुआ और छत्तीसगढ़ कैडर मिला
आईपीएस बनने की कहानी
प्रशांत अग्रवाल बताते है BE के आखिरी समेस्टर से ही साथी लोग अपने करियर के बारे में प्लान करते है कोई हायर एजुकेशन के लिये विदेश जाने का प्लान कर रहा होता है कोई MNC में नौकरी करने की सोचता है लेकिन मैं जिस गांव और छोटे से जिले से हूं वहां पर आईएएस और आईपीएस को लेकर अलग क्रेज होता है. मैं भी बचपन में आईएएस आईपीएस की गाड़ियों को आते-जाते देखता था.
बीई करने के बाद मेरे पास MNC में काम का ऑफर था लेकिन मैंने प्रशासनिक सेवा में जाने का फैसला किया.
अग्रवाल परिवार के पहले आईपीएस
प्रशांत अग्रवाल का परिवार अलग-अलग कारोबार से जुड़ा है. पिता जी की मेडिकल स्टोर की दुकान है और बड़े भाई कपड़े के व्यापारी है, प्रशांत अग्रवाल बताते है कि वे अपने परिवार के पहले शख्स हैं जो सरकारी नौकरी में है. उनका दूर-दूर तक कोई रिश्तेदार भी सरकारी नौकरी में नहीं है. आज आईपीएस है तो परिवार के लोग गर्व करते हैं.
पुलिसिंग बेहद चैलेंजिंग है
प्रशांत अग्रवाल पुलिस के वर्क कल्चर पर बताते हुए कहते है पुलिस का काम जितना आसान दिखता है वैसा है नहीं. पहले मैं भी सोचता था और पुलिस को लेकर अलग राय थी. पुलिस के अपने चैलेंज हैं. छोटे त्यौहार से लेकर बड़े इवेंट तक को शांति पूर्ण तरीके से संपन्न कराने की जिम्मेदारी होती है. और यही कामना होती है की सभी आराम से निकल जाए. लॉ आर्डर मेन्टेन करने के लिए कितने जवानों की मेहनत शामिल होती है. ये बाहर से दिखता नहीं है. पुलिस के काम में त्वरित निर्णय लेना होता है. कभी-कभी तो शिकायत करता की पहचान मुश्किल हो जाती है कौन सच्चा है और कौन झूठा हर परिस्थिति में निर्णय लेना होता है. पुलिस के काम को हर कोई मॉनिटर करता है. उसके साथ ही पुलिस के काम को हर कोई जज करता है आम इंसान हो या पॉलिटिकल फिगर सभी की नजर पुलिस पर होती है.
मुश्किल घड़ी में पेशेंस के साथ मुकाबला करते हैं
जीवन के मुश्किल वक्त के बारे में प्रशांत अग्रवाल बताते है की हर व्यक्ति के जीवन में मुश्किल वक़्त आता है. परेशानी का लेवल अलग अलग होता है लेकिन सभी को अपने जीवन में परेशानियों का पेशेंस के साथ सामना करना पड़ता है परेशानी ही आपको मजबूत बनाती बुरा वक्त जीवन में हमेशा नहीं रहता है आप अपनी तरफ से अच्छा से अच्छा करो कई बार ऐसा होता है कि प्रॉब्लम अपने कंट्रोल से बाहर होती हैं लेकिन हम जो कर सकते है उसे 100 परसेंट पूरी ईमानदारी से करना चाहिय रिजल्ट सकारात्मक ही मिलेंगे
कई सफल नक्सल ऑपरेशन किए
2008 में छत्तीसगढ़ कैडर मिलने के बाद सबसे पहले नक्सल प्रभावित बीजापुर में एसपी रहते हुए कई सफल नक्सल ऑपरेशन किये. उसके बाद जांजगीर एसपी के पद पर रहते हुए अपराध नियंत्रण पर काम किया. राजनांदगांव एसपी रहते हुए नक्सल मोर्चे के साथ पुलिसिंग में जोर दिया, उसके बाद बिलासपुर एसपी और वर्तमान में एसएसपी रायपुर के पद में सेवाएं दे रहे हैं.
अपराध नियंत्रण और ट्रैफिक मैनेजमेंट पर फोकस
प्रशांत अग्रवाल का रायपुर को लेकर अपना विज़न है उनका कहना है कि राजधानी के अपने चैलेंज रहते हैं. राजधानी में आपराधिक घटनाओं को कम करने के साथ-साथ शहर के बढ़ते हुए ट्रैफिक को मैनेज करना बड़ा चैलेंज है.
. राजधानी होने की वजह से रायपुर में आये दिन धरना-प्रदर्शन होता था , जिससे ट्रैफिक जाम होने से लोगों को समस्या होती थी. जिला प्रशासन से मिल कर बुढा तालाब धरना स्थल को नया रायपुर शिफ्ट किया गया है. इसके साथ ही टाटीबंध में आये दिन जाम की समस्या से निदान पाया जा चुका है. शहर में हो रहे क्राइम को नियंत्रित किया गया है.
छुट्टी का समय परिवार के साथ बिताना पसंद
आईपीएस प्रशांत अग्रवाल बताते हैं कि वैसे तो छुट्टियाँ मुश्किल से मिलती है. लेकिन जब भी समय मिलता है बच्चों के साथ समय बिताते हैं. परिवार के साथ लॉन्ग ड्राइव और अच्छी मूवी देखना उन्हें पसंद है. अमूमन वीकेंड में कुछ वर्क लोड कम होता है तभी आसपास जाने का प्लान बन पाता है.