
उमरिया जिले के चंदिया तहसील अंतर्गत पथरहठा गांव में ऐतिहासिक मूर्तियां उपेक्षित पड़ी है. दशकों पूर्व उमरार नदी किनारे बौद्ध धर्म से संबद्ध कई प्रतिमाएं अलग-अलग समय में पाई गई हैं. अभी तक स्थानीय लोगों के प्रयास से कई बार पुरातात्विक शोधकर्ताओं की टीम आई. फिर भी इनके संरक्षण के लिए कोई प्रयास नहीं हो पाए. नतीजा धरोहरें खण्डित होकर जीर्णशीर्ण होती जा रही है.
खुदाई में मिली थी
उमरिया जिले के तहसील चंदिया अंतर्गत पथरहठा गांव में दशकों से कथली नदी किनारे पुरातात्विक प्रतिमाएं देख रेख के अभाव में पड़ी हुई है. जानकारों कि माने तो मूर्तियां अधिकतर बौद्ध धर्म से संबंधित हैं. भगवान बुद्ध व विष्णुरूप सहित अन्य प्रतिमा शामिल हैं. ऐसा बताया जाता है गांव में गहरी खुदाई के दौरान अक्सर प्रतिमाएं पाई गई है. ग्रामीणों ने इन्हें सुरक्षित करने के उद्देश्य से गांव के मंदिर में रखा हुआ है. सामाजिक कार्यकर्ता बाला सिंह बताते हैं शोधकर्ता व पुरातत्व विद्वान के साथ हम लोग वहां गए थे। प्रतिमाओं का इतिहास संजोकर संवारा जा सकता है.
इनका कहना है
पुरातत्व विद् एवं वरिष्ठ व्याख्याता प्रदीप सिंह गहलोत का कहना है कि ये मूर्तियां 16 वीं शताब्दी के आसपास होने का अनुमान है. पुरातात्विक दृष्टि से पथरहठा ग्राम अत्यधिक समृद्ध है.
संग्रहालय बनाने की मांग की थी हमने
प्रतिमाएं जीर्णशीर्ण होकर खण्डित पड़ी है. हमने कई बार इनके संरक्षण के लिए संग्रहालय की मांग की है. यही नहीं एक शिलालेख भी पाया गया था. आज तक उसे कोई नही पढ़कर समझ पाया। इनका संरक्षण बेहद जरूरी है.