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This Article is From Aug 21, 2023

नागपंचमी पर खुले नागचंदेश्वर मंदिर के पट : 11वीं शताब्दी की बताई जाती है यह प्रतिमा

नागचंदेश्वर मंदिर उज्जैन के महाकाल मंदिर के तीसरे खण्ड में स्थित है. यहां नाग शैय्या पर भगवान शिव विराजते हैं. इस मंदिर के द्वार साल में केवल एक दफा खुलते हैं.

नागपंचमी पर खुले नागचंदेश्वर मंदिर के पट : 11वीं शताब्दी की बताई जाती है यह प्रतिमा
आज रात 12 बजे तक नागचंदेश्वर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुले रहेंगे .
उज्जैन:

उज्जैन के महाकाल मंदिर में स्थित नागचंदेश्वर मंदिर के पट सोमवार मध्यरात्रि रात 12 बजे खोले गए. नागचंदेश्वर मंदिर के पट 24 घंटों के लिए साल में केवल एक बार सिर्फ नाग पंचमी के अवसर पर खोले जाते हैं. नागदेव दर्शन के लिए रविवार रात 9 बजे से ही देश विदेश से आए श्रद्धालूओ की कतार लगी है. सोमवार सुबह 6 बजे तक लाखों श्रद्धालुओं ने किया दर्शन.

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सुगम दर्शन के लिए प्रशासन द्वारा किया गया है इंतजाम
महाकाल मंदिर के ऊपर तीसरे खंड में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट सोमवार सोमवार मध्य रात 12  बजे खोलने के बाद महाकालेश्वर मंदिर स्थित श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत विनित गिरी महाराज ने प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में त्रिकाल पूजन किया. तत्पश्चात रविवार रात 9 बजे से कतार में लगे दर्शनार्थियों का सिलसिला शुरू हुआ. आपको बता दें कि नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं, इसलिए श्रद्धालु मंगलवार रात 12 बजे तक दर्शन कर सकेंगे. मंदिर प्रशासन द्वारा नागचंद्रेश्वर मंदिर तक जाने के लिए पिछले वर्ष बनाए गए ब्रिज से दर्शन की व्यवस्था की गई. करीब एक घंटे में आम लोगों को दर्शन करवाने का दावा मंदिर समिति ने किया है.

दुनिया भर में मात्र एक प्रतिमा
पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन हीं मंदिर के पट खोले जाने की परंपरा रही है. बताया जाता है कि यहां स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की है. संभवत: दुनिया में इस प्रकार की यह एक मात्र प्रतिमा है जिसमें भगवान शिव नाग शैय्या पर विराजित हैं. आम तौर पर नाग शैय्या पर भगवान विष्णु विराजित होते हैं, नाग शैय्या पर भगवान शिव के विराजित होने की यह एक दुर्लभ प्रतिमा है.

इस मंदिर में शिवजी, मां पार्वती, श्रीगणेश जी के साथ सप्तमुखी नाग देव हैं और नंदी और सिंह भी विराजित हैं. शिव जी के गले और भुजाओं में भी नाग लिपटे हुए हैं. बताया जाता यह दुर्लभ प्रतिमा नेपाल से लाकर मंदिर में स्थापित की गई थी.

गर्भ में महाकाल, तीसरे खंड में नागचन्द्रेश्वर
श्री महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में बंटा है. इसके गर्भ गृह में भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर और तीसरे खंड में नागचन्द्रेश्वर विराजित है. माना जाता है कि परमार राजा भोज ने संभवतः 1050 ई में इस मंदिर का निर्माण करवाया था. बाद में महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. 

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