उज्जैन : सावन के अंतिम सोमवार को शिव भक्त महाकाल की भक्ति में डूबे नजर आए. विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर बाबा की सावन मास की अंतिम सवारी सोमवार शाम 4 बजे बड़े धूमधाम से निकाली गई. इसकी शुरुआत महाकाल मंदिर से हुई. सवारी में इस बार महाकाल बाबा का रुद्रेश्वर मुखारविंद रूप शामिल किया गया. पूरे रास्ते लाखों श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए और फूलों की वर्षा करते हुए आशीर्वाद लिया. सावन मास के अंतिम सोमवार को बाबा महाकाल की आठवीं सवारी से पहले मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का षोडशोपचार विधि से पूजन-अर्चन कर आरती की गई.
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शाम करीब 4 बजे मंदिर के द्वार पर सशस्त्र पुलिसबल ने बाबा महाकाल को 'गार्ड आफ ऑनर' दिया. इसके बाद बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकले. सवारी में भगवान श्री महाकालेश्वर रजत पालकी में चन्द्रमौलेश्वर के रूप में विराजित हुए. हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नंदी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, नवीन रथ पर श्री घटाटोप स्वरुप, दूसरे नवीन रथ पर श्री जटाशंकर और एक अन्य रथ पर नए स्वरूप श्री रूद्रेश्वर सप्तधान मुखारविंद शामिल हुए. सवारी गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होते हुए रामघाट पहुंची.
शिव मंदिरों में लगी भक्तों की कतार
यहां श्री चन्द्रमोलेश्वर और श्री मनमहेश का मोक्षदायिनी मां शिप्रा के जल से अभिषेक पूजन किया गया. इसके बाद सवारी परंपरागत मार्गों से होते हुए रात करीब 7:30 बजे तक महाकाल मंदिर पहुंची. इस साल सावन में अधिकमास होने से दो महिने का सावन पक्ष रहा. इस दौरान लाखों श्रद्धालुओं ने महाकाल के दर्शन के साथ ही उज्जैन में स्थित चौरासी महादेव मंदिरों के भी दर्शन किए. 28 अगस्त को सावन के अंतिम सोमवार के साथ ही सोम प्रदोष होने से शिव मंदिरों में भी शिव आराधना के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही.