विज्ञापन
This Article is From Jan 28, 2024

वाहे रे सरकार! बाघों के खतरे के बीच झोपड़ी में चल रहा स्कूल, जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे मासूम

जानकारी के अनुसार उमरिया जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर कशेरू गांव मानपुर विकासखण्ड के अंतर्गत आता है. बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में पतौर कोर एरिया की वन सीमा चारों तरफ से इसे घेरे हुए है. वन ग्राम होने के कारण अक्सर किसानों के खेत में बाघों का मूवमेंट भी होता रहता है.

वाहे रे सरकार! बाघों के खतरे के बीच झोपड़ी में चल रहा स्कूल, जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे मासूम
शिक्षा लेने के लिए जान को खतरे में डालना पड़ रहा है

Madhya Pradesh News:  सरकारें जनता के हित की बात कहती तो हैं, लेकिन कागजी हकीकत, जमीनी हकीकत से बिल्कुल अलग नजर आती है. ऐसा ही नजर आ रहा है मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में. यहां की सरकार ने शिक्षा को कानूनी अधिकार तो दिया लेकिन यहां से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जो सारी पोल खोल रही हैं. आदिवासी बाहुल्य उमरिया जिले में कशेरू गांव की प्राथमिक शाला एक झोपड़ी में संचालित की जा रही है.

आसपास बांधवगढ़ का खूंखार जंगल भी है

यहां चारों तरफ बांधवगढ़ का खुूंखार जंगल है जहां बाघ जैसे खतरनाक जानवर हैं. इन सबके बावजूद छत पर तिरपाल व दीवार के नाम पर चारों तरफ झाड़ियों की आड़ के बीच में प्राथमिक शाला चल रही है. जहां छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. कशेरू में छात्रों की पढ़ाई का यह दृश्य देखकर आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की दुर्दशा किसी को भी विचलित कर सकती है.

cecrv

खतरे से खेलते हुए ले रहे हैं शिक्षा

ये भी पढ़ें Indore News: पब में पार्टी के दौरान विवाद पर जमकर हुई तोड़फोड़, वायरल वीडियो में देखें दहशत का ये मंज

जिला मुख्यालय से है करीब 50 किलोमीटर दूर

जानकारी के अनुसार उमरिया जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर कशेरू गांव मानपुर विकासखण्ड के अंतर्गत आता है. बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में पतौर कोर एरिया की वन सीमा चारों तरफ से इसे घेरे हुए है. वन ग्राम होने के कारण अक्सर किसानों के खेत में बाघों का मूवमेंट भी होता रहता है. ऐसे संवेदनशील क्षेत्र में पिछले करीब नौ साल से ग्रामीणों के बच्चों को पढ़ाई के लिए एक मुकम्मल भवन नहीं मिल पाया है. गांव के एक व्यक्ति के कच्चे मकान में ही पहले अस्थाई तौर पर कक्षाएं चल रही थीं. साल की शुरूआत होते ही उसने भी भवन देने से हाथ खड़े कर दिए. नतीजा यह हुआ कि शिक्षकों को अभिभावकों के साथ मिलकर गांव में खाली पड़ी जमीन पर झोपड़ी के नीचे कक्षाएं संचालित करनी पड़ रही हैं.

कशेरू गांव की प्राथमिक शाला में भवन की कमी के पीछे सर्व शिक्षा विभाग जिम्मेदार है. विभाग का कहना है बांधवगढ़ का वन ग्राम होने के कारण फाइले तेजी से आगे नहीं बढ़ रही हैं. 

ये भी पढ़ें दलित सरपंच को तिरंगा फहराने से रोकने वाला रोजगार सहायक बर्खास्त, जानें-दिग्विजय ने क्यों कहा शुक्रिया

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close