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Reservation in Private Jobs: जाति जनगणना से पहले केंद्रीय मंत्री अठावले ने दिया बड़ा बयान, बोले- निजी क्षेत्र में भी लागू किया जाए जाति आधारित आरक्षण

Reservation in Private Sector: निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू किए जाने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह हमारी मांग रही है. मैंने, रामविलास पासवान और उदित राज (जब वह भाजपा में थे) एक साथ मांग की थी कि निजी क्षेत्र में आरक्षण दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब सरकारी उद्योगों का निजीकरण किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में बाल्को कंपनी का भी निजीकरण किया गया. निजी क्षेत्र में कोई आरक्षण नहीं है.

Reservation in Private Jobs: जाति जनगणना से पहले केंद्रीय मंत्री अठावले ने दिया बड़ा बयान, बोले- निजी क्षेत्र में भी लागू किया जाए जाति आधारित आरक्षण

Reservation in Private Jobs News: केंद्र सरकार (Union Government of India) इस बार जाति आधारित जनगणना (Caste Survey) कराने जा रही है. इससे पहले देश में  निजी क्षेत्र में जाति आधारित आरक्षण लागू करने मांग जोर पकड़ने लगी है. इसी कड़ी में रायपुर (Raipur) दौरे पर मंगलवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले (Ramdas Athavale) ने कहा कि निजी क्षेत्र में जाति आधारित आरक्षण लागू किया जाना चाहिए.

'त्रि-भाषा' नीति के कार्यान्वयन पर आदेश वापस लेने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले की सराहना करते हुए, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के प्रमुख अठावले ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार ने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू होने से पहले आदेश को रद्द करके 'छक्का' मार दिया है.

निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अठावले ने जाति जनगणना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला बताया. वहीं, निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू किए जाने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह हमारी मांग रही है. मैंने, रामविलास पासवान और उदित राज (जब वह भाजपा में थे) एक साथ मांग की थी कि निजी क्षेत्र में आरक्षण दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब सरकारी उद्योगों का निजीकरण किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में बाल्को कंपनी का भी निजीकरण किया गया. निजी क्षेत्र में कोई आरक्षण नहीं है, जबकि हम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (सरकारी क्षेत्र में) को आरक्षण देते रहे हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा, हालांकि मैं सरकार में हूं, लेकिन मेरी पार्टी की मांग है कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए.''

जाति जनगणना मोदी जी का ऐतिहासिक फैसला

जाति जनगणना के फैसले के बारे में पूछे जाने पर अठावले ने कहा कि जाति जनगणना मोदी जी का ऐतिहासिक फैसला है. कांग्रेस के कार्यकाल में ऐसा नहीं हुआ. मैंने कई बार मांग की थी कि ओबीसी की जनगणना होनी चाहिए. यह मांग काफी उठाई गई है. जब मैं लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के साथ था, तब भी मैंने मांग की थी कि हर जाति की जनगणना होनी चाहिए जिससे हर जाति की जनसंख्या का प्रतिशत पता चल सके. उनमें से कितने लोग रोजगार करते हैं, कितनों के पास उद्योग हैं, उनके पास कितनी कृषि भूमि है, यह सब जनगणना से पता चलेगा. जाति जनगणना से सरकार को उन्हें सुविधाएं देने में मदद मिलेगी.

'पीएम मोदी पर नहीं होता विरोधियों का असर'

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कहते रहे हैं कि सरकार ने यह फैसला उनके द्वारा मांग उठाए जाने के बाद लिया है. ऐसा बिल्कुल नहीं है. यह बात पहले से ही सरकार के मन में थी. अठावले ने आगे कहा कि ऐसा नहीं लगता कि राहुल गांधी को भविष्य में कभी प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलेगा. राहुल गांधी हमेशा पीएम मोदी पर हमला करते रहते हैं, लेकिन इसका कोई असर नहीं होता. मोदी का शरीर इतना मजबूत है कि उन पर इसका कोई असर नहीं होता.

मनुस्मृति को बताया धार्मिक विषय

राहुल गांधी के इस बयान पर कि आरएसएस संविधान की बजाय मनुस्मृति को तरजीह देता है, अठावले ने कहा कि मुझे लगता है कि मनुस्मृति धार्मिक विषय है. हिंदू धर्म का मामला अलग है. भाजपा पहले संविधान को स्वीकार करती है. हमारे देश का संविधान सर्वधर्म समभाव पर आधारित है. हमारे देश में सबसे ज्यादा हिंदू हैं, उसके बाद मुस्लिम हैं. उसके बाद सिख, जैन, ईसाई और बौद्ध हैं. हमारे देश में अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं. राहुल गांधी के आरोप में कोई तथ्य नहीं है.

जाति, धर्म और भाषा से ज्यादा महत्वपूर्ण देश

वहीं, आरएसएस नेता की ओर से संविधान से समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने के आह्वान पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्या कहा है. लेकिन शुरू में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे शब्द संविधान में नहीं थे, लेकिन बाद में जोड़े गए. हम हिंदू धर्म के लोगों का सम्मान करते हैं. मैं बौद्ध हूं. मुझे अपने धर्म पर गर्व है. लेकिन अपने धर्म से पहले मुझे अपने देश पर गर्व है. बाबा साहेब ने कहा है कि जाति, धर्म और भाषा से ज्यादा महत्वपूर्ण देश है. हमें देश के लिए एकजुट होना चाहिए. कांग्रेस पार्टी उल्टी-सीधी बातें करती रहती है, और जितना वे ऐसा करेंगे, इससे मोदी जी को ही फायदा होगा.

'कक्षा एक से तीसरी भाषा पढ़ाने की कोई जरूरत नहीं '

इससे पहले रायपुर के स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डे पर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए आठवले ने कहा कि महाराष्ट्र में त्रिभाषा मुद्दे को लेकर कुछ विवाद था. हिंदी पहले से ही हमारी राष्ट्रीय भाषा है और हम इसका सम्मान करते हैं. लेकिन कुछ लोगों ने तर्क दिया कि मराठी स्कूलों में कक्षा एक से तीसरी भाषा पढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है. मराठी लोगों ने इसका विरोध किया. हालांकि, देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने आंदोलन शुरू होने से पहले ही हिंदी भाषा (स्कूलों में) के इस्तेमाल के फैसले को रद्द कर दिया. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हिंदी को लागू किया जाना चाहिए, लेकिन इसे कक्षा एक से शुरू करने की कोई जरूरत नहीं है. हर राज्य में (प्राथमिक छात्रों को) पढ़ाने के लिए स्थानीय भाषा का इस्तेमाल किया जाता है. हाईस्कूल और कॉलेज में इस (हिंदी) भाषा को पढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं है. महाराष्ट्र में इसका विरोध हुआ और सरकार ने लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है.

फडणवीस सरकार ले चुकी है यू-टर्न

फडणवीस सरकार ने 16 अप्रैल को एक आदेश जारी कर अंग्रेजी और मराठी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से पांच तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बना दिया था. विरोध के बीच सरकार ने 17 जून को संशोधित आदेश जारी कर हिंदी को वैकल्पिक भाषा बना दिया.

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सरकार के इस कदम की विपक्ष-शिवसेना (यूबीटी), मनसे और एनसीपी (एसपी) ने आलोचना की और इसे महाराष्ट्र में हिंदी थोपने का कदम बताया. 29 जून को महाराष्ट्र मंत्रिपरिषद ने 'त्रिभाषा' नीति के क्रियान्वयन पर आदेशों को वापस लेने का फैसला किया था.

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