लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में प्रत्याशियों के चयन में पिछड़ने और एक लंबे इंतजार के बाद आखिरकार शनिवार, 6 अप्रैल को कांग्रेस (Congress) ने तीन राज्यों के लिए अपने 6 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है. इस सूची में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की बाकी बची 3 सीटों पर भी प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है. ग्वालियर से पूर्व विधायक प्रवीण पाठक (Praveen Pathak), मुरैना (Morena Lok Sabha seat) से पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार उर्फ नीटू (Satyapal Singh Sikarwar) और खंडवा से नरेंद्र पटेल (Narendra Patel) को टिकट दिया है.
इन प्रत्याशियों से कांग्रेस को कितना फायदा?
बता दें कि मध्य प्रदेश की खंडवा संसदीय क्षेत्र से सनावद के रहने वाले नरेंद्र पटेल पर भरोसा जताते हुए कांग्रेस पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है. एक लंबे सोच विचार के बाद की गई इन तीनों प्रत्याशियों की घोषणा से कांग्रेस पार्टी को कितना फायदा इन चुनावों में पहुंचेगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल प्रत्याशियों की घोषणा में पिछड़ने के चलते पार्टी की जो किरकिरी हो रही थी, कम से कम इस टिकट की घोषणा के बाद वो तो रुक ही जाएगी.
जानें कैसा रहा नरेंद्र पटेल का राजनीतिक सफर
खंडवा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी ने सनावद के रहने वाले नरेंद्र पटेल को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि 64 वर्षीय नरेंद्र पटेल का एक लंबा राजनीतिक इतिहास रहा है. युवा कांग्रेस से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करने वाले नरेंद्र पटेल धीरे-धीरे संगठन में मजबूत पैठ बनाते गए और ब्लॉक और जिला कांग्रेस के कई पदों पर रहे. फिलहाल नरेंद्र पटेल मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव के पद पर हैं. नरेंद्र पटेल के साथ-साथ उनका परिवार का भी एक लंबा राजनीतिक इतिहास रहा है. दरअसल, नरेंद्र पटेल के बड़े चाचा ताराचंद पटेल बड़वाह विधानसभा से विधायक रहने के साथ ही खरगोन लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रहे हैं.
बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर
बता दें कि खंडवा से कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र पटेल गुर्जर समाज से आते हैं. तो वहीं इस संसदीय क्षेत्र में गुर्जर वोटरों का दबदबा भी है. शायद इसी के चलते कांग्रेस ने नरेंद्र पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया है. नवदुर्गा, गणेश उत्सव और रामनवमी जैसे कई धार्मिक आयोजनों में भी नरेंद्र पटेल काफी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते दिखाई देते हैं, जिसके चलते क्षेत्र में उनकी छवि धार्मिक प्रवृत्ति की होते हुए सामाजिक पकड़ भी मजबूत बनी हुई है. ऐसे में ये माना जा रहा है कि इस सीट पर लोकसभा चुनाव गुर्जर बनाम गुर्जर होते हुए मौजूदा सांसद और भाजपा प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल के बीच कड़ी टक्कर रहने वाला है.
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