Vidisha PDS Scam: विदिशा जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत बड़ा घोटाला सामने आया है. जिला प्रशासन की जांच में खुलासा हुआ है कि कोरोना काल में गरीबों के लिए भेजे गए अनाज के वितरण में 390 शासकीय उचित मूल्य दुकानों ने अनियमितताएं कीं.
कलेक्टर अंशुल गुप्ता के निर्देश पर गठित समितियों की जांच रिपोर्ट के अनुसार 16 करोड़ 4 लाख रुपये की राशि वसूली की जा रही है. जिला आपूर्ति अधिकारी अनिल तंतुवाय ने बताया कि शासन के आदेशों के अनुपालन में जांच पूरी हो चुकी है. सभी संचालकों को वसूली नोटिस जारी कर दिए गए हैं.
कहां कितनी वसूली?
इस घोटाले की जांच रिपोर्ट ने जिला प्रशासन को हिला कर रख दिया है. हर अनुविभागीय क्षेत्र में भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों का अलग-अलग चेहरा सामने आया है.
| क्षेत्र | दुकानों की संख्या | वसूली राशि | 
| नटेरन | 86 | 4.52 करोड़ | 
| सिरोंज | 81 | 5.28 करोड़ | 
| गंजबासौदा | 63 | 1.67 करोड़ | 
| कुरवाई | 26 | 43 लाख | 
| विदिशा नगर | 18 | 1.71 करोड़ | 
| विदिशा ग्रामीण | 44 | 64 लाख | 
| लटेरी | 61 | 1.51 करोड़ | 
| कुल | 390 | 16.04 करोड़ | 
कोरोना काल की गड़बड़ियां सबसे ज्यादा
जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जब कोरोना महामारी के दौरान जनता को मुफ्त या रियायती दरों पर राशन दिया जा रहा था, उसी समय कुछ संचालकों ने लाभार्थियों के नाम पर फर्जी एंट्रियां कर अनाज हजम कर लिया. कई मामलों में मृत व्यक्तियों या प्रवासी परिवारों के नाम पर खाद्यान्न का उठाव दर्ज किया गया.
प्रशासन का सख्त रुख
जिला आपूर्ति अधिकारी अनिल तंतुवाय ने कहा कि 'अनियमितताओं की पुष्टि के बाद वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जो संचालक निर्धारित समय सीमा में राशि नहीं लौटाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी'.
कलेक्टर अंशुल गुप्ता ने कहा कि सरकारी अनाज जनता का अधिकार है. कोई भी व्यक्ति अगर उस पर डाका डालता है, तो उसे माफ नहीं किया जाएगा. हर दोषी से हर एक दाने का हिसाब लिया जाएगा'.
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जनता का सवाल- क्या होगा न्याय?
जिले में अब चर्चाएं इस बात की हैं कि क्या ये कार्रवाई केवल वसूली तक सीमित रहेगी या दोषी दुकानदारों पर FIR भी दर्ज होगी. गांवों में गरीब परिवार पूछ रहे हैं कि जब राशन हमारे नाम पर आया था, तो हमें क्यों नहीं मिला? विदिशा का यह मामला मध्यप्रदेश के सार्वजनिक वितरण सिस्टम की सच्चाई उजागर करता है. कोरोना काल की राहत योजनाओं में की गई यह लापरवाही न केवल प्रशासनिक लापरवाही दिखाती है बल्कि उस भरोसे को भी तोड़ती है जो जनता सरकार पर करती है.
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