Vijay Surya Mandir: धार के भोजशाला मंदिर विवाद के बीच अब मध्यप्रदेश में एक नया विवाद खड़ा हो गया है. ताजा मामला विदिशा में मौजूद प्राचीन विजय सूर्य मंदिर का है. इस मंदिर की देखभाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई करता है. यहां साल में एक बार नागपंचमी के मौके पर हिंदू मंदिर में बाहर से ही पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. लेकिन ताजा विवाद इसलिए खड़ा हो गया है क्योंकि अब हिंदू संगठनों ने मंदिर के भीतर जाकर पूजा करने की अनुमति मांगी है. इस पर जिला कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य ने इन संगठनों की मांग से जुड़े लेटर को एएसआई के पास भेजा. इसके बाद एएसआई ने लेटर का जो जवाब दिया उसी से विवाद हो गया है. एएसआई ने 1951 के गैजेट नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए इस स्थल को 'बीजामंडल मस्जिद' बताया. जिसके बाद कलेक्टर ने यहां पूजा की अनुमति देने से इनकार कर दिया. लेकिन हिंदू संगठन यहां पूजा करने की मांग पर अड़े हुए हैं. जिसको देखते हुए प्रशासन ने यहां सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए हैं. दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष में भी अपनी दलील पेश कर रहा और इसे मस्जिद बताया जा रहा है. शुक्रवार को हुए हंगामे की पूरी रिपोर्ट जानने से पहले ये जान लीजिए कि इस इमारत का इतिहास क्या है?
बहरहाल अब तक ये होता था कि साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी पर हिंदू यहां बाहर से पूजा करते थे लेकिन इस बार उन्होंने मंदिर के अंदर जाकर पूजा करने की अनुमति मांगी. हिंदू संगठन एएसआई के इस दावे का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि यह 1972 से हिंदू पूजा का स्थान रहा है. विदिशा के विधायक का कहना है कि मराठा शासन के दौरान मस्जिद को दूसरी जगह ले जाया गया और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह स्थल जीर्ण-शीर्ण हो गया. अब विधायक के नेतृत्व में यहां विजय मंदिर मुक्ति सेवा समिति बन गई है. इसी के सदस्यों ने कलेक्टर-एसपी को ज्ञापन देकर दोबारा सर्वे की मांग की है. विधायक का कहना है कि कलेक्टर के फैसले से नागरिकों में आक्रोश है.
दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष का कहना है कि पहले यहां बीजामंडल ईदगाह थी जहां नमाज पढ़ी जाती थी. मुस्लिम समाज विदिशा के कार्यवाहक अध्यक्ष चौधरी परवेज अहमद का कहना है कि 1965 में जो समझौता हुआ था हम उस पर कायम हैं. हमें ईदगाह मस्जिद सरकार ने भी बना कर दी थी. एक मुस्लिम प्रतिनिधि आबिद सिद्दीकी ने कहा- यहां मस्जिद बीजामंडललिखा है. इसे दोबारा तूल देने के हम खिलाफ हैं. यदि ये जमीन वापस होती है तो वो मुसलमानों के हवाले ही होना चाहिए.
बता दें कि 1934 में जब खुदाई हुई तो हिंदू महासभा ने इसे विजय मंदिर बताया और उसके उद्धार की मांग की. हिंदू महासभा इलाके में इतनी ताकतवर है कि तब के दौर में यहां से दो बार उसी के विधायक और सांसद चुने गए थे. फिलहाल प्रशासन ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है. कलेक्टर बुद्धेश वैश्य ने कहा है कि सब कुछ एएसआई नियमों के अनुसार किया जाएगा.
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