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Baba Mahakal Procession: 17 को राजसी अंदाज में दर्शन देंगे बाबा महाकाल, निकलेगी अगहन मास की अंतिम सवारी

अगहन मास का अंतिम सोमवार 17 नवंबर को है. परंपरानुसार कल बाबा महाकाल की राजसी सवारी निकलेगी. सवारी से पूर्व 3.30 बजे सभा मंडप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन कर रजत पालकी में विराजित किया जाएगा.

Baba Mahakal Procession: 17 को राजसी अंदाज में दर्शन देंगे बाबा महाकाल, निकलेगी अगहन मास की अंतिम सवारी

मध्यप्रदेश के उज्जैन में सोमवार शाम बाबा महाकाल की अगहन मास की अंतिम सवारी निकलेगी. राजसी सवारी होने से बाबा महाकाल पांच किमी. क्षेत्र में भ्रमण कर प्रजा का हाल जानेंगे. विशेष सवारी को देखते हुए पुलिस प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है. वहीं श्रद्धालु भी बाबा के स्वागत के लिए बेताब हैं.

अगहन मास का अंतिम सोमवार 17 नवंबर को है. परंपरानुसार कल बाबा महाकाल की राजसी सवारी निकलेगी. सवारी से पूर्व 3.30 बजे सभा मंडप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन कर रजत पालकी में विराजित किया जाएगा. फिर पालकी मंदिर के द्वार पर पहुंचेगी. यहां सशस्त्र बल द्वारा सलामी देने के बाद सवारी रवाना होगी, जिसमें अश्वारोही दल, पुलिस बैंड, मंदिर समिति का बैंड, भजन मंडलियां और डमरू वादक युवाओं के दल शामिल होंगे. अंतिम और राजसी सवारी होने से पारंपरागत मार्ग के साथ सवारी शहर के अन्य रास्तों से भी गुजरेगी. इस बार सवारी मार्ग करीब पांच किलोमीटर तक रहेगा.

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रामघाट पर अभिषेक, गोपाल मंदिर पर पूजन

सवारी महाकालेश्वर मंदिर से महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होते हुए रामघाट पहुंचेगी. यहां मां शिप्रा के जल से भगवान चंद्रमौलेश्वर का अभिषेक और आरती होगी. तत्पश्चात गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, मिर्जानईम बेग मार्ग, तेलीवाड़ा, कंठाल चौराहा, सतीगेट, छत्री चौक और गोपाल मंदिर पहुंचेगी. यहां परंपरागत पूजन उपरांत सवारी पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुनः श्री महाकालेश्वर मंदिर लौटेगी.

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कब कब निकली बाबा महाकाल की सवारी 

सर्वविदित है कि सावन-भादौ की तरह श्री महाकालेश्वर भगवान की कार्तिक, अगहन मास में भी सवारी निकाली जाती है. कार्तिक की पहली सवारी 27 अक्टूबर को, दूसरी 3 नवंबर को, तीसरी 10 नवंबर को और चौथी राजसी सवारी निकली. वहीं अगहन की अंतिम और राजसी सवारी 17 नवंबर को निकाली जाएगी. अंतिम सवारी के दर्शन के लिए हजारों भक्त सवारी मार्ग पर दोपहर से पहुंचेंगे और सवारी पर पुष्प वर्षा कर दर्शन लाभ लेंगे.

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