Ujjain Viral Video : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की धार्मिक नगरी उज्जैन (Ujjain) में आस्था की अद्भुत मिसाल देखने को मिली. बड़नगर के एक किसान ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर अपने जवान पुत्र को नोटों से तोला और उसके वजन के बराबर राशि मंदिर में दान कर दी. मन्नत पूरी होने पर अनोखे तरीके से दान करने का मामला पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है. बड़नगर के रहने वाले किसान चतुर्भुज जाट ने चार साल पहले 30 साल के पुत्र वीरेंद्र जाट के लिए श्री सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज के मंदिर में मन्नत मांगी थी. उन्होंने तय किया था कि मन्नत पूरी होने पर बेटे के वजन के बराबर राशि मंदिर में दान करेंगे. इसी कारण बुधवार को जाट अपने बेटे वीरेंद्र के साथ तेजाजी मंदिर पहुंचे.
मंदिर में लगाया बड़ा तराजू
किसान ने यहां पहुंच कर बड़ा तोल कांटा लगवाया. फूलों से सजे कांटे के एक पलड़े पर बेटे को बैठाया गया और दूसरे पलड़े पर पॉलिथीन बैग में भरकर दस-दस के नोटों की गड्डियां रखकर बेटे को तोला गया. बेटे का वजन 83 किलो होने पर 10 लाख 7 हजार रुपये की राशि तुली, जिसे जाट ने मंदिर निर्माण के लिए दान कर दिया.
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उज्जैन: बड़नगर के एक किसान ने मनोकामना पूरी होने पर बेटे को नोटों से तोला और उसके वजन जितनी राशि मंदिर में दान कर दी.
— NDTV MP Chhattisgarh (@NDTVMPCG) September 13, 2024
किसान ने बताया कि, 4 साल पहले उन्होंने बेटे के लिए मन्नत मानी थी, उसके पूरा होने पर उन्होंने बेटे के वजन जितनी राशि मंदिर में दान की है. #MadhyaPradesh |… pic.twitter.com/e0wW74XzOt
चार साल पहले मांगी थी मन्नत
किसान चतुर्भुज जाट ने बताया कि चार साल पहले उन्होंने बेटे के लिए इस मंदिर में मन्नत मांगी थी. हालांकि उन्होंने क्या मन्नत मांगी थी... इस बारे में जानकारी नहीं दी लेकिन मन्नत पूरी होने पर तराजू में तौलकर दान देने का फैसला लिया था. बेटे का वजन 83 KG होने के कारण उन्होंने इतनी ही राशि जुटाकर मंदिर में दान दी, जो लगभग 10 लाख 7 हजार रुपये की थी.
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लोगों ने की खूब सराहना
गांव वाले और पुजारियों के अनुसार, ये किसान और उनके परिवार की गहरी धार्मिक आस्था को दर्शाता है. तेजा दशमी के खास मौके पर किसान के परिवार ने अपनी आस्था और विश्वास को अनोखे तरीके से निभाया. उनका यह दान श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना. मंदिर के पंडितों और लोगों ने इस कार्य की सराहना की. इस दान से न केवल मंदिर को आर्थिक सहायता मिली, बल्कि समाज में धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का एक सुंदर उदाहरण भी प्रस्तुत हुआ.
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