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MP हाईकोर्ट के दो जजों ने नर्सिंग कॉलेज घोटाला मामले से खुद को अलग किया, अब नई बेंच करेगी सुनवाई

Nursing College Scam: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में नर्सिंग कॉलेज घोटाला मामले में चल रही सुनवाई के बीच दो जजों ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है. मंगलवार को इस केस की सुनवाई दो बेंचों में हुई, लेकिन दोनों ही बेंच के एक-एक जजों ने खुद को इस केस से अलग कर लिया.

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MP हाईकोर्ट के दो जजों ने नर्सिंग कॉलेज घोटाला मामले से खुद को अलग किया, अब नई बेंच करेगी सुनवाई

Nursing College Scam Case Hearing: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) में चल रही नर्सिंग कॉलेज घोटाला मामले (Nursing College Scam Case) की सुनवाई के बीच दो जजों ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया. संभवतः ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक ही दिन में दो बेंच में सुनवाई हुई हो, और दोनों ही बेंच के एक-एक जजों ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया हो. हालांकि, अदालत (High Court) ने मामले के पक्षकारों को जल्द ही नई बेंच गठित कर सुनवाई करने का आश्वासन दिया है.

दो-दो बेंचों में चली सुनवाई

दरअसल, मंगलवार को जबलपुर हाईकोर्ट में नर्सिंग कॉलेज घोटाला मामले पर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति  विशाल मिश्रा की बेंच में सुनवाई हो रही थी. इस दौरान राज्य सरकार और नर्सिंग काउंसिल की ओर से आवेदन पेश कर कोर्ट से जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी की परीक्षाओं के रिजल्ट जारी करने की अनुमति मांगी गई. दूसरी तरफ याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सीबीआई के द्वारा जो रिपोर्ट पेश की गई है, वह मध्य प्रदेश के सिर्फ 308 कॉलेज के संबंध में है, जबकि अभी भी 396 नर्सिंग कॉलेज ऐसे हैं जिनकी जांच नहीं की गई है. इसी बीच सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच के सदस्य जस्टिस विशाल मिश्रा ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया.

अब नई बेंच करेगी सुनवाई

जिसके बाद शाम के समय जस्टिस शील लागू और जस्टिस विनय सराफ की बेंच में सुनवाई चली. लेकिन, कुछ देर बाद ही जस्टिस शील नागू ने भी खुद को सुनवाई से अलग कर लिया. जिसके बाद कोर्ट ने पक्षकारों को आश्वासन दिया कि जल्द ही नई बेंच गठित कर सुनवाई की जाएगी. बता दें कि इस मामले पर लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ लगभग 50 मामलों की एक साथ सुनवाई हो रही है.

गैर सुविधायुक्त कॉलेजों को दी गई थी मान्यता

बता दें कि नियमों को ताक पर रखने हुए गैर सुविधायुक्त और बिना फैकल्टी वाले कॉलेजों को मान्यता दिए जाने को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. मामले की जांच में ढुलमुल रवैये को देखते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. बाद में सभी मामलों को जबलपुर मुख्य पीठ में ट्रांसफर कर दिया गया. सीबीआई को अभी मामले में फाइनल जांच रिपोर्ट पेश करनी है. जिसके बाद लाखों नर्सिंग छात्रों के रिजल्ट और परीक्षाओं पर कोई फैसला आने की संभावना है.

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