MP News in Hindi: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर (Chhatarpur) जिले के आदिवासी बहुल बकस्वाहा जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ता हालत ने एक बच्ची की जान ले ली. बकस्वाहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के अभाव और एम्बुलेंस की देरी के कारण 16 वर्षीय आदिवासी बालिका (Small Girl Dead) जानकी ने दम तोड़ दिया. जानकारी के अनुसार, सुनवाहा निवासी हरिदास की बेटी जानकी (16) को उल्टी-दस्त और पेट फूलने की शिकायत के बाद परिजन उसे बक्सवाहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (Community Health Centre) लेकर पहुंचे. अस्पताल में शुरुआती जांच के बाद बालिका को एक बॉटल पानी चढ़ाई गई.
दोपहर 1 बजे डॉक्टरों ने उसकी स्थिति को गंभीर बताते हुए बच्ची को दमोह जिला अस्पताल रेफर कर दिया. रेफर पर्ची बन जाने के बाद परिजन दोपहर 2 बजे से एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे. लेकिन, एम्बुलेंस उनके पास देर शाम करीब 7 बजे पहुंची. इस बीच बालिका की हालत लगातार बिगड़ती गई और इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया.
परिजनों ने लगाया ये आरोप
जानकी के पिता हरिदास और मां सुनीता का कहना है कि अस्पताल में बालिका को समय पर सही इलाज नहीं मिला. वे यह कहते हुए रो पड़े कि उनकी बेटी इलाज के लिए हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाती रही, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समय पर इलाज और एम्बुलेंस मिल जाती, तो उनकी बेटी की जान बचाई जा सकती थी.
व्यवस्थाओं पर सवाल
सुनवाहा के ग्रामीण और परिजन दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इस दर्दनाक घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की बदतर स्थिति को उजागर कर दिया है. बलिका के पिता हरिदास आदिवासी का कहना है कि इस घटना ने शासन-प्रशासन के स्तर पर जवाबदेही और सुधार की मांग को तेज कर दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार नहीं हुआ, तो ऐसी घटनाएं लगातार होती रहेंगी.
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अस्पताल प्रशासन का बयान
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ. सत्यम असाटी ने बताया कि जानकी को उल्टी-दस्त और पेट फूलने की शिकायत के साथ भर्ती किया गया था. प्राथमिक इलाज के बाद उसकी स्थिति सामान्य हो रही थी. लेकिन, अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण उसे दमोह रेफर किया गया. एम्बुलेंस की देरी को लेकर अधिकारी ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया.
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