MP University Result Controversy : हाल ही में रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय ने B. A, B. Sc और B. Com Second Year के Result जारी किए. लेकिन रिजल्ट देख हजारों छात्र-छात्राओं के होश उड़ गए. क्योंकि इस परिणाम में करीब एक हजार से ज्यादा छात्राओं के कई विषयों में शून्य अंक दिखाए गए. खासतौर पर हिंदी और अंग्रेजी में छात्राओं को 0 अंक मिले. रिजल्ट देख फेल हुईं छात्राएं हैरान रह गईं और उन्हें इस पर यकीन नहीं हुआ. इस गड़बड़ी के बाद विश्वविद्यालय के मूल्यांकन प्रक्रिया (Evaluation Process) पर सवाल खड़े हो गए. सोमवार को जैसे ही सतना के इंदिरा कन्या महाविद्यालय का गेट खुला, नाराज छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में छात्राओं ने कॉलेज प्राचार्य को ज्ञापन सौंपा. छात्राओं का आरोप है कि यह गड़बड़ी कॉलेज प्रशासन की लापरवाही से हुई है.
छात्राओं ने जाहिर की आपत्ति
जानकारी के अनुसार, करीब ढाई हजार छात्राएं इस कॉलेज में पढ़ती हैं. परीक्षा परिणाम जारी होने के होने के बाद छात्राएं दंग रह गईं. उन्होंने कहा कि जब बोर्ड परीक्षाओं में उनके अच्छे अंक आए थे, तो अब अचानक हिंदी और अंग्रेजी में शून्य अंक कैसे मिल सकते हैं. न्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि इस मामले की जांच कराई जाए और ऐसी घटिया हरकत करने वालों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाए.
जाँच कैसे हुई ? इस पर उठे सवाल
सूत्रों के मुताबिक, विश्वविद्यालय ने Answer Sheet की जांच के लिए भोपाल की एक एजेंसी को ठेका दिया है. यह ठेका किस प्रक्रिया के तहत दिया गया और क्या ऐसा का करने का नियम है? इसे लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं है. विश्वविद्यालय के कुलसचिव और Examination Controller से बातचीत करने की कोशिश की गई.., लेकिन मामले में उनसे बात नहीं हो सकी.
Exam फीस को लेकर भी सवाल
छात्राओं ने आरोप लगाया कि दुबारा परीक्षा के लिए Extra Charge वसूला जाता है... जो विश्वविद्यालय की आय का जरिया बन गया है. ये समस्या सिर्फ इंदिरा कन्या महाविद्यालय तक सीमित नहीं है बल्कि अन्य शासकीय कॉलेजों में भी यही हाल है.
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ABVP ने दिया अल्टीमेटम
Second Year के Result में गड़बड़ी को लेकर ABVP कार्यकर्ताओं ने प्राचार्य से मुलाकात की. संगठन ने चेतावनी दी कि यदि जल्द नतीजा सुधारा नहीं गया तो उग्र आंदोलन होगा... जिसकी जिम्मेदारी कॉलेज प्रशासन पर होगी. इधर, छात्राओं का भी कहना है कि कॉलेज की समस्याओं का समाधान करने के लिए उन्हें बार-बार रीवा विश्वविद्यालय जाना पड़ता है. वहां भी उनकी समस्याएं सुलझाने के बजाय उन्हें भटकाया जाता है.
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