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This Article is From Aug 07, 2023

शिव का 'राज' हो या कमल बने 'नाथ', घोषणाओं की बाढ़ से खजाना हुआ साफ

मध्यप्रदेश में चुनाव के ऐन पहले चाहे बीजेपी हो या फिर कांग्रेस...दोनों ने ही घोषणाओं की झड़ी लगा दी है. उन्हें इसकी परवाह नहीं कि राज्य 3 लाख करोड़ से ज्यादा के कर्ज में है. सवाल ये है कि ये घोषणाएं पूरी कैसे होंगी? पैसे कहां से आएंगे?

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शिव का 'राज' हो या कमल बने 'नाथ', घोषणाओं की बाढ़ से खजाना हुआ साफ

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव सिर पर है लिहाजा बीजेपी हो या कांग्रेस सभी ने घोषणाओं की झड़ी लगा दी है. विकास पर्व में शिवराज सरकार की ओर जो ऐलान किए गए हैं उसे अमल में लाने पर करीब 2 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा जबकि हकीकत ये है कि राज्य पर करीब 3.39 लाख करोड़ का कर्ज है. मतलब आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया. राज्य का खजाना बड़े दबाव में है लेकिन हमारे नेताओं को घोषणाएं करने में कोई गुरेज नहीं है. कांग्रेस भी कहती है कि जब वो सत्ता में आएगी तो 500 रु. में गैस सिलेंडर देगी, 100 यूनिट बिजली माफ करेगी और 200 यूनिट पर बिजली बिल हाफ करेगी. ये लिस्ट लंबी है लेकिन सवाल ये है कि इसके लिए पैसे आएंगे कहां से? चलिए जरा हकीकत की जमीन पर उतर कर राज्य की हालत पर निगाह डालते हैं.  

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मध्यप्रदेश में 14 मंदिर कॉरिडोर बन रहे हैं या उन्हें बनाने का ऐलान हो गया है, ये सब तब जब विधानसभा चुनावों में कुछ महीने बचे हैं. एक अनुमान के मुताबिक राज्य सरकार ने चुनावों के मद्देनजर जिन घोषणाओं का ऐलान किया है उससे सरकारी खर्च 10 फीसदी तक बढ़ सकता है.

अकेले लालली बहन योजना पर सरकार फिलहाल 15 हजार करोड़ रुपया खर्च कर रही है. लाडली बहना में राशि धीरे-धीरे बढ़कर 3000 रुपए प्रति हितग्राही होगी. इसका गणित लगाए तो ये खर्च 45 हजार करोड़ रुपये बैठता है.

राज्य के मुखिया शिवराज की ओर घोषणाओं की स्थिति देखें तो बीते तीन सालों में उन्होंने  2715 घोषणाएं कीं. यानी हर दिन लगभग ढाई घोषणा. ये जानकारी खुद राज्य सरकार ने विधानसभा में दी थी. 

हालांकि सरकार इससे इत्तेफाक नहीं रखती. राज्य के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा का दावा है कि हम लिमिट में ही खर्च कर रहे हैं और जनता के हित में ही खर्च कर रहे हैं.

एक दिन भी तनख्वाह नहीं रुकी है. ओवरड्यू नहीं हुआ और हम सबकुछ देते जा रहे हैं. ये वो सोचें जो रोज़ कहते थे खज़ाना खाली है. यही वो प्रबंधन और योग्यता है जिसकी बदौलत शिवराज जी 18 साल से मुख्यमंत्री हैं

नरोत्तम मिश्रा

गृहमंत्री, मध्यप्रदेश

ऐसा नहीं है कि सिर्फ सत्ताधारी दल की घोषणाओं की झड़ी लगा रहा है विपक्षी कांग्रेस भी अभी से बता रही है कि यदि वो सत्ता में आई तो क्या-क्या करेगी. मसलन- नारी सम्मान में 1500 रु. हर महीने, 500 रु. में गैस सिलेंडर, 100 यूनिट बिजली माफ, 200 यूनिट पर बिजली बिल हाफ, पुरानी पेंशन बहाली और किसानों की कर्जमाफी जैसे ऐलान. कुल मिलाकर सरकार चलाने का खर्च लगातार बढ़ रहा है, कमाई उस हिसाब से है नहीं लेकिन घोषणाओं की बाढ़ लाने में कोई पीछे नहीं है. 

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