विज्ञापन

क्षेत्रीय डॉक्टरों ने कर दिखाया वो, जो जिला अस्पताल में भी नहीं हो सका... ऐसे बचा ली मां-बेटे की जान

MP News: बुरहानपुर जिले के डॉक्टरों ने मिसाल स्थापित किया है. एक प्रेगनेंट महिला की जटिल डिलीवरी में सफलता हासिल कर ली और दोनों की जान बचा ली. 

क्षेत्रीय डॉक्टरों ने कर दिखाया वो, जो जिला अस्पताल में भी नहीं हो सका... ऐसे बचा ली मां-बेटे की जान
परिवार वालों ने किया डॉक्टर को सम्मानित

Burhanpur News: डॉक्टरों को धरती का भगवान ऐसे ही नहीं माना जाता है... मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बुरहानपुर (Burhanpur) जिले में एक निजी शिशु रोग डॉक्टर (Private Child Specialist Doctor) ने अनुसूचित जाति के गरीब परिवार के घर सात महीने के प्रीमैच्योर बालक (Pre Mature Child) ने जन्म लिया. लेकिन बालक को सांस लेने में गंभीर समस्या थी. सरकारी अस्पताल (Government Hospital) में परिवार को इलाज के लिए इंदौर-मुंबई जैसे महानगरों में जाने की सलाह दी गई थी. परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था. ऐसे में समाजसेवियों के दखल के बाद शहर के निजी शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आगे आए और उन्होंने इस बालक के उपचार को चुनौती के रूप में लिया. उनकी टीम ने बालक का इलाज कर ना केवल इंसानियत का परिचय दिया, बल्कि डॉक्टर जैसे नेक पेशे का भी मान बढ़ाया. बालक स्वस्थ्य है और परिजनों ने डॉक्टर का सम्मान किया.

नवजात को थी सांस लेने में परेशानी

जंगाले परिवार के घर प्रीमैच्योर सात माह के बालक ने जन्म लिया. इस बालक को जन्म से ही सांस लेने में गंभीर समस्या थी. सरकारी अस्पताल में इलाज की सुविधा नहीं होने पर परिवार को मुंबई-इंदौर जैसे महानगरों में जाने की सलाह दी गई. लेकिन, परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि वह बुरहानपुर से बाहर इलाज कराने में सक्षम नहीं था. इस बीच कुछ समाजसेवियों के दखल के बाद बच्चे को इलाज के लिए शहर के निजी शिशु रोग विशेषज्ञ को बताया गया. 

डॉक्टरों ने ले ली थी चुनौती

परिवार की स्थिति और समाजसेवियों के आग्रह पर शिशु रोग डॉ. सैय्यद नदीम ने इंसानियत का परिचय देते हुए इस बालक का उपचार को चुनौती के रूप में लिया. नौ दिन तक वेंटिलेटर पर रखने और उस पर सतत निगरानी करने के बाद डॉ. सैय्यद नदीम और उनकी टीम ने बालक का सफल ऑपरेशन कर बच्चे को नया जीवनदान दिया. डॉ. सैय्यद नदीम ने बताया कि बालक प्रीमैच्योर बेबी था जिसकी उम्र सात माह कुछ दिन थी. उसे सांस लेने में गंभीर समस्या थी.

बताया ये कारण

डॉ. सैय्यद नदीम ने बताया कि फेफड़ों में कमजोरी आ जाती है. फेफड़े चिपक जाते हैं. बच्चे को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है. दिक्कत इतनी होती है कि बच्चा सांस लेते थक जाता है और सांस लेना बंद कर देता है. सरफेक्टन नाम की दवाई होती है. फेफड़ों में ट्यूब के जरिए डाला जाता है. यह बहुत बड़ी चुनौती थी. प्रीमैच्योर बेबी में बहुत कम चांस होते है.

ये भी पढ़ें :- 'अपराध के स्कूल' की अब निकलेगी कुंडली ! NDTV की खबर के बाद CM ने कसा शिकंजा

परिवार ने जताई खास खुशी

परिवार ने अपने यहां जन्मे नन्हे मेहमान को नया जीवन दान मिलने पर डॉक्टर सैय्यद नदीम उनकी टीम और अस्पताल प्रबंधन का स्वागत किया. परिजनों के अनुसार डॉ. सैय्यद नदीम ने यह साबित करके दिखाया है. डॉक्टर धरती के भगवान होते है भगवान हमें जाने देते है और डॉक्टर इंसानों की जान बचाते है.

ये भी पढ़ें :- MP Politics: सक्रिय राजनीति में वापसी करेंगे पूर्व सीएम कमल नाथ, दिल्ली में राहुल गांधी से की मुलाकात

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
NDTV Madhya Pradesh Chhattisgarh
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
Daraupdi Murmu: राष्ट्रपति पहुंची मध्य प्रदेश, 1600 करोड़ रुपये के इंदौर-उज्जैन सिक्स लेन का करेंगी भूमिपूजन
क्षेत्रीय डॉक्टरों ने कर दिखाया वो, जो जिला अस्पताल में भी नहीं हो सका... ऐसे बचा ली मां-बेटे की जान
Free Fire Game: Boy Jumps Off Roof After Asking Mother What Would Happen If He Fell
Next Article
Free Fire Game : मां, मैं छत से गिर जाऊं.... तो क्या होगा ? कहकर लड़के ने लगा दी छलांग
Close