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This Article is From Apr 19, 2025

2500 की आबादी वाले इस गांव में आया महासंकट! ‘जीवन’ की तलाश में प्यासे भटक रहे हैं अंजोरा ढाबा वाले

Water Crisis in Anjora Dhaba: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के अंजोरा ढाबा गांव में भीषण जलसंकट है. गांव के सभी ट्यूबवेल सूख गए हैं, और एकमात्र चालू ट्यूबवेल से पानी की आपूर्ति मुश्किल से हो रही है.

2500 की आबादी वाले इस गांव में आया महासंकट! ‘जीवन’ की तलाश में प्यासे भटक रहे हैं अंजोरा ढाबा वाले
अंजोरा ढाबा में जलसंकट
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Chhattisgarh Water Crisis News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का एक गांव इन दिनों ‘महासंकट' की चपेट में है. कहते हैं कि जल ही जीवन है लेकिन यहां जीवन इतना सुलभ नहीं है. जीवन यानी पानी की तलाश में यहां के लोग सुबह से लेकर शाम तलक भटकते रहते हैं तब कहीं बमुश्किल उन्हें कुछ घूंट पानी नसीब होता है. 

दुर्ग शहर से 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम अंजोरा ढाबा भीषण जलसंकट से जूझ रहा है. करीब 2500 की आबादी वाले इस गांव में जैसे ही फरवरी की शुरुआत हुई, एक-एक कर सभी ट्यूबवेल सूख गए. अब गांव का एकमात्र चालू ट्यूबवेल ही लोगों की प्यास बुझा रहा है, वह भी सिर्फ “ईश्वर भरोसे” चल रहा है. 

गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें रोज़ाना तड़के उठना पड़ता है, और अपने घरों से डब्बा, बाल्टी लेकर गांव के इकलौते ट्यूबवेल के सामने लाइन में लगना पड़ता है. उनकी सुबह की प्राथमिकता अब शौच या नाश्ता नहीं, बल्कि “पानी भरना” बन गई है. 

गांव की बेटियों और महिलाओं की दिनचर्या भी पूरी तरह बदल चुकी है. साइकिल लेकर गांव के दूसरे कोने पानी के लिए जाना अब उनकी मजबूरी बन चुकी है. हर दिन उन्हें लंबी लाइनें और धूप में घंटों इंतजार करना पड़ता है. 
‘हर साल इसी तरह पानी की मार झेलते हैं' 

गांव के पूर्व सरपंच का कहना है कि अंजोरा ढाबा विधानसभा क्षेत्र के अंतिम छोर पर बसा है, इसलिए विकास योजनाओं से हमेशा वंचित रह जाता है. “हर साल इसी तरह पानी की मार झेलते हैं, जिम्मेदारों से शिकायत करते हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती. 
गांव के एक बुजुर्ग रामकुमार देखमुख बताते हैं, “हम सुबह से सारे जरूरी काम छोड़कर पानी भरने आ जाते हैं. हर घर से 1-2 लोग केवल पानी की व्यवस्था में दिनभर लगे रहते हैं. यही अब हमारी दिनचर्या बन गई है.”

‘जल जीवन मिशन' का क्या हुआ? 

सरकार की बहुप्रचारित ‘जल जीवन मिशन' के तहत एक साल पहले गांव में नल कनेक्शन तो लगाए गए थे, लेकिन पानी न होने के कारण वो पाइपलाइन अब तक सूखी पड़ी है. योजना कागजों तक सीमित है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है.  गांव से कुछ दूरी पर शिवनाथ नदी बहती है, और ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार चाहे तो वहीं से पानी लाया जा सकता है. लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं कि खुद शिवनाथ नदी आज गंदगी और प्रदूषण से जूझ रही है. 
बहरहाल, अंजोरा ढाबा के लोगों की आंखों में अब भी उम्मीद बाकी है शायद कभी कोई अधिकारी, कोई नीति-निर्माता उनकी पुकार सुन ले और गांव को जल संकट से राहत मिल सके. 

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