Unchehara Railway Gate Re-opened: मध्य प्रदेश (Satna) के सतना (Satna) में रेलवे फाटक बंद किए जाने के बाद स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया था. जिसके बाद सतना-मैहर रेलमार्ग (Satna-Maihar Rail Section) पर स्थित उचेहरा फाटक को बंद करने का निर्णय अंतत: रेल प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर वापस लेना पड़ा है. उचेहरा व्यापारी संघ, स्थानीय नागरिकों और सांसद गणेश सिंह (Satna MP Ganesh Singh) के पत्र के बाद इस मामले में कलेक्टर ने भी पत्राचार किया, जिसके बाद रेलवे प्रशासन ने फिर से फाटक खोल दिया है. रेलवे के इस निर्णय के बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली, लेकिन अब एक सवाल यह उठ खड़ा हो गया कि रेलवे ने किसकी एनओसी के आधार पर स्टेट हाईवे का रास्ता बंद किया था?
व्यापारी संघ ने कही यह बात
उचेहरा व्यापारी संघ के अध्यक्ष डॉ पवन ताम्रकार ने बताया कि रेलवे फाटक बंद किए जाने से दोनों तरफ के लगभग आधा सैकड़ा गांव के लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही थी. चूंकि फाटक बंद होने से लोगों के वाहन नहीं निकल पा रहे थे, उन्हें रेलवे ट्रैक के पार जाने के लिए करीब पांच किमी का रास्ता तय करना पड़ रहा था. इसके अलावा पैदल यात्री भी रेल पटरियों से निकलने के लिए मजबूर थे. ऐसे में यह फाटक तब तक बंद नहीं किया जाना चाहिए था, जब तक यहां पर अंडर ब्रिज का निर्माण नहीं हो जाता. फिलहाल इस निर्णय से स्थानीय ग्रामीणों, छात्र-छात्राओं को काफी राहत होगी.
सांसद ने लिखा था रेलवे के जीएम को पत्र
सतना-मैहर राज्य मार्ग में पड़ने वाले उचेहरा में स्थित रेलवे फाटक को फिर से खोलने के लिए सांसद गणेश सिंह ने बीते 9 जुलाई को जीएम पश्चिम मध्य रेलवे को पत्र लिखा था. जिसमें फाटक को तत्काल खोले जाने का अनुरोध किया गया था. सांसद के पत्र से ठीक पहले रेलवे अधिकारियों ने भी जनता के विरोध को देखते हुए मौके का दौरा भी किया था.
पिछले हफ्ते ही बंद हुआ था फाटक
बता दें कि उचेहरा रेलवे फाटक बंद हो जाने से कई गांवों के लोगों को परेशान होना पड़ रहा था. सतना-मैहर रेल खंड (Satna-Maihar Rail Section) के बीच स्थित उचेहरा रेलवे फाटक को बंद (Unchehara Railway Gate Closed) किए जाने से आवागमन प्रभावित हो रहा था. रेलवे फाटक के जरिए जो सफर दस कदम में तय हो जाता था, अब उसके लिए वाहन चालकों को पांच किमी का अतिरिक्त चक्कर काटना पड़ रहा है. सोमवार को रेलवे फाटक बंद किए जाने को लेकर ग्रामीण विरोध पर भी उतरे थे. इस दौरान ग्रामीणों ने रेल प्रशासन (Railway Administration) से मांग रखी कि जब तक अंडर ब्रिज का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक इस फाटक को चालू रखा जाए.
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