Smart Cities Mission: स्मार्ट सिटी का तमगा पा चुके मध्य प्रदेश के सतना (Satna Smart City Project) जिले में जलावर्धन और अमृत योजना (Amrut Yojna) धरातल पर उतारने का दावा भले ही अधिकारियों द्वारा किया जाता हो, लेकिन इसके बाद भी घरों में पाइप लाइन से पानी नहीं पहुंच पा रहा है. 150 करोड़ रुपए की भारी भरकम रकम व्यवस्था बनाने में खर्च करने का नतीजा यह है कि आज भी शहर के कई वार्डों में गांव जैसे हालातों में टैंकर (Water Tanker) से ही पानी उपलब्ध कराना पड़ रहा है. टैंकर से जल सप्लाई (Water Supply) की व्यवस्था भले ही जनसुविधा के लिहाज से अहम हो, लेकिन इस तस्वीर को देखने के बाद जलावर्धन और अमृत जैसी योजनाओं के विफल होने का भी प्रमाण मिलता है.
यहां पर हालात गंभीर है
सतना शहर के वार्ड क्रमांक 11 और 12 में टैंकरो से पानी वितरण हो रहा है. जिससे घर-घर पानी पहुंचाने वाली करोड़ों रुपए की योजना भी कठघरे में खड़ी हो गई. कुल मिलाकर अब तक नगर निगम (Nagar Nigam Satna) प्रशासन 110 करोड़ की राशि जलावर्धन योजना, 36 करोड़ अमृत योजना और चार करोड़ रुपए नगर निगम की पूंजी से पाइप लाइन (Water Pipe Line) सप्लाई सुनिश्चित करने के नाम पर खर्च कर दी है. इसके बाद भी पानी दुर्दशा के बीच मिल रहा है. यह अफसरों की मनमानी को उजागर करता है.
संसाधनों की यह है स्थिति
पानी सप्लाई के लिए जलावर्धन लाइन 110 करोड़ में बिछी. अमृत योजना से 36 करोड़ खर्च हुए. निगम ने अपना 4 करोड़ का खजाना दांव पर लगा दिया. शहर में ओवर हेड टैंकों की संख्या 20 है. 18 एमएलडी क्षमता का पुराना फिल्टर प्लांट, 41 एमएलडी का जलावर्धन फिल्टर प्लांट है. इसके बाद भी शहर में रोजाना टैंकरों से पानी सप्लाई हो रही है जो कि इन योजनाओं की विफलता का प्रमाण है.
टैंकर पहुंचते ही शुरू होती है दौड़
शहर के घूरडांग की झुग्गी बस्ती (Slum Area) तक पाइप लाइन पड़ चुकी है. इसके बाद भी लोगों को सप्लाई से नहीं बल्कि टैंकर से ही पानी मिलता है. जैसे ही नगर निगम का टैंकर पहुंचता है वैसे ही यहां के लोग पानी के लिए दौड़ने लगते हैं. घर में मौजूद सभी सदस्य हाथ में बाल्टी और प्लास्टिक के डिब्बे लेकर ऐसे दौड़ते हैं जैसे कि उनके बीच कोई मैराथन दौड़ की प्रतियोगिता हो रही हो.
कनेक्शन न लेने का बहाना
निगम प्रशासन (Nagar Nigam Administration) के जानकारों की माने तो घूरडांग एवं बदखर इलाके में स्थानीय वासियों को पेयजल समस्या से निजात दिलाने के लिए लगभग 4 करोड़ रूपए खर्च करके सप्लाई लाइन बिछवाई गई है, फिर भी वहां टैंकर से पानी देना पड़ रहा है. वहीं निगम प्रशासन का दावा है कि पानी की सप्लाई लाइन बिछने के बाद वहां के निवासियों ने नल कनेक्शन (Water Connection) नहीं लिया जिसके चलते ऐसे हालात उत्पन्न हो रहे हैं.
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