The amount of cow Grant increased: देश में राजनीतिक रूप से गाय काफी अहम है. दक्षिण को छोड़ दें, तो देश के उत्तर और पूर्वी हिस्से में लगभग हर राज्य में गाय को लेकर कोई न कोई योजना है. जब चुनाव आते हैं, तो गायें और भी अहम हो जाती हैं. खूब बढ़-चढ़ के वादे होते हैं. मध्य प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. जनवरी महीने में NDTV ने गौशालाओं की दुर्दशा की Exclusive Ground Report दिखाई थी. इसके बाद अब सरकार ने प्रति गोवंश अनुदान राशि को 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये कर दिया है.
प्रदेशभर की अधूरी गौशालों को पूरा कराया जाएगा. इसके आरक्षित भूमि में हुए अतिक्रमण को हटाया जाएगा. इसके संचालन आ रही कठिनाई में हम मदद करेंगे. गोशाला संचालन के लिए जिन्हें जमीन की ज़रूरत है, उन्हें राजस्व, धर्मस्व से जमीन उलपब्ध कराई जाएगी. प्रति गोवंश की राशि अब 40 रुपये दी जाएगी.
डॉ. मोहन यादव, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश
20 रुपये का अनुदान तो बेहद कम है
भोपाल शहर के बीचों बीच बनी मां गायत्री गौशाला में गायत्री मंदिर परिसर में ही बनी है. यहां लगभग 140 गौवंश हैं. जिनकी देखभाल के लिए सरकार 20 रु. प्रति गौवंश का अनुदान देती है. लेकिन, गौशाला के संचालक सुभाष शर्मा का कहना है कि ये अनुदान एक तो नाकाफी है. साथ ही ये 3-4 महीने में एक बार ही आता है. उनका कहना है कि गौशाला शहर के बीच में है. इसलिए कई लोग यहां चारा खिलाने आ जाते हैं. इसमें से कुछ लोग धर्म के नाम पर, तो कई कर्म के नाम पर आते हैं. यहां हमें कारोबारी त्रिलोकचंद और अखबार में काम करने वाली देव कुमारी मिलीं. दोनों का कहना है कि सरकार काम तो अच्छा कर रही है, लेकिन 20 रुपये का अनुदान बेहद कम है.
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पेंशन के पैसों से करते हैं गायों की देखभाल
शहर के बाहर 20 किलोमीटर दूर कोकता महामृत्युंजय गौशाला है. यहां 600 से ज्यादा गोवंश हैं. प्रशासन यहां जख्मी और निराश्रित गायों को छोड़ जाता है. यहां मौजूद ज्यादातर गायें दूध नहीं देतीं. गौशाला के अध्यक्ष गोविंद व्यास 20 साल से ये गौशाला चलाते हैं. गोविंद बैंक से रिटायर्ड हैं. उनका कहना है कि एक गाय 60-70 रु. का चारा खाती है, लिहाजा सरकारी अनुदान बेहद कम है. वे गायों की देखभाल के लिए अपनी पेंशन का पैसा लगाते हैं. उनका कहना है कि सरकारी अनुदान आने में तो 6-7 महीने की देरी होती है. वे बताते हैं कि यहां मौजूद गायें दूध नहीं देती हैं, लिहाजा लोग इनकी देखभाल में रुचि ही नहीं लेते हैं. दूसरी, तरफ इसी गौशाला के सदस्य बृजेश व्यास बताते हैं कि 20 रु. पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार से कई बार अपील की गई है कि 15 रु. में पानी का खर्चा भी नहीं निकलता है, भूसा तो दूर है. कुछ ऐसा ही हाल भोपाल के कलियासोत में मौजूद नंदिनी गौशाला का भी है. यहां 75 गायें मौजूद है. यहां के संचालक ने हमें बताया कि आखिरी दफे अगस्त में अनुदान मिला था. उसके बाद से अभी तक कुछ नहीं.
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