Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश सरकार के खजाने को सबसे अधिक राजस्व देने वाला जिला ऊर्जाधानी सिंगरौली... जहां खाट पर विकास का सिस्टम है, यहां मरने के बाद भी मृतकों को शांति नहीं मिल पा रही है. यहां शव ले जाने के लिए शव वाहन उपलब्ध ही नहीं है. सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण परिवारों को होती है. इस दिशा में न तो जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस पहल की गई और न ही नगर परिषद के द्वारा.
कचरा ढोने वाली ट्रॉली गाड़ी से अस्पताल ले जाया गया शव
मानवता को झकझोर देने वाली दो तस्वीरें सिंगरौली जिले से सामने आई है. पहली तस्वीर जिले के सरई थाना क्षेत्र के इटावा गांव से सामने आई है यहां एक हत्या के मामले में पोस्टमार्टम कराने के लिए शव वाहन उपलब्ध नहीं था. मजबूरी में नगर पालिका परिषद सरई ने कचरा ढोने वाली ट्रॉली गाड़ी शव ले जाने के लिए उपलब्ध कराई. यही गाड़ी, जो रोज कचरा उठाने और अन्य कामों में इस्तेमाल होती है, उसमें मृतक का शव रखकर परिजनों ने पोस्टमार्टम के लिए मर्चुरी तक ले गए और फिर पोस्टमार्टम कराने के बाद उसी वाहन से शव को घर तक ले गए.

कचरा ढोने वाली ट्रॉली गाड़ी में शव ले जाते समय की तस्वीर
नगर परिषद के पास उपलब्ध नहीं है शव वाहन
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने प्रशासन की किरकिरी कर दी है... वीडियो सामने आने के बाद नगर परिषद सरई के CMO सुरेंद्र ने NDTV को बताया कि घटना सोमवार की है. इटावा गांव निवासी पप्पू साकेत का शव उसके ही घर से पुलिस ने बरामद किया है. शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए नगर परिषद की गाड़ी को भेजा गया था. यह सच है कि नगर परिषद के पास शव वाहन उपलब्ध नहीं है. ऐसे में समस्या तो होती ही है, जुगाड़ से यहां काम चलता है.
वायरल वीडियो के बाद क्षेत्रीय लोगों में गहरा रोष है. सोशल मीडिया पर लोग प्रशासन को आड़े हाथों ले रहे हैं. प्रशासन ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि जांच के आदेश दिए जा सकते हैं.
बीमार महिला को खाट पर ले जाया गया अस्पताल
वहीं दूसरी तस्वीर भी सिंगरौली जिले से ही सामने आई है जहां देवसर ब्लॉक के चुरवाही गांव के एक टोले में सड़क न होने से 80 साल की बुजुर्ग बीमार महिला को खाट पर अस्पताल लेकर परिजन पहुंचे. परिजनों का कहना है, "एम्बुलेंस करीब 02 घंटे की देरी से पहुंची, इस बीच मरीज की स्थिति गंभीर होती जा रही थी. मजबूरी में परिवारजन वृद्धा को खाट पर उठाकर इलाज के लिए जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर की ओर रवाना हुए."

महिला के पुत्र प्रदीप शाह ने बताया "उन्हें अपनी मां को लगभग एक किलोमीटर तक खाट पर ले जाना पड़ा, क्योंकि उनके घर से मुख्य सड़क तक केवल एक संकरी पगडंडी है, जिस पर कोई वाहन नहीं पहुंच सकता."
खाट पर विकास...
सिंगरौली जिले में यह कोई पहला ऐसा गांव नहीं है... इस तरह की समस्या से जूझते कई ऐसे गांव हैं, जहां आज भी विकास की दरकार है... खाट पर विकास है. यह जरूर है कि सब विकास यहां सब कागज़ों पर हुआ है, लेकिन धरातल की स्थिति को देखकर विकास के खाट मॉडल को समझा जा सकता है.
इस मामले में विधायक राजेंद्र मेश्राम कहते हैं, "पहले ये क्षेत्र नर्क के नाम से जाना जाता था. अब विकास के कारण स्वर्ग हो गया है.
दो तस्वीरें... विकास के दावों की खोल दी पोल
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से लगातार ऐसे सड़क गांव और मार्ग चिह्नित किए जा रहे हैं, जहां 250 से ज्यादा आबादी है... वहां पर सड़क की कनेक्टिविटी देने का कार्य सरकार कर रही है. इस मार्ग की भी स्वीकृति हो गई है.
सिंगरौली जिले की यह दोनों तस्वीरें यहां की विकास के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है. कहने को तो यह जिला प्रदेश सरकार के खजाने में इंदौर के बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा राजस्व देता है, उसके बावजूद यह जिला पिछड़ेपन का दंश झेलने को मजबूर है.
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