पुल बनने और डायवर्जन पर सही काम नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर सिंध नदी और गुंजारी नदी के पास कोलारस अनु विभाग के अंदर आने वाली भडौता रन्नोद सड़क पर रेशम वाली माता के पास से गुजरने वाली गुंजारी नदी पर बनने वाले पुल की वजह से यहां कम से कम 40 से ज्यादा गांव वालों को समस्या आ रही है.
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हो चुकी हैं कई दुर्घटनाएं
यह इलाका रेशम वाली माता के नाम से प्रसिद्ध है और यहां भक्तों का अक्सर तांता लगा रहता है और इसी दौरान यहां लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी होती है. साथ ही कई दुर्घटनाएं भी चुकी हैं. इसके बावजूद न तो पुलिया का निर्माण तेज किया गया और न ही इस डायवर्जन को दुरुस्त किया गया. हालांकि नियम के मुताबिक पुलिया को 2024 तक बना कर देना है, लेकिन इलाके की सड़क से गुजरने वाले ग्रामीणों की संख्या बताती है कि यह पुलिया का जल्द बनना कितना महत्वपूर्ण है. लगभग 40 से 50 गांव वालों को इसी रास्ते से होकर गुजरना पड़ रहा है. इस दौरान आवाजाही को देखकर भी आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां से गुजरने वालों की संख्या कितनी अधिक है.
कई बार फंस जाती हैं गाड़ियां
खेती की काली मिट्टी और नदी का बहाव इन दोनों से मिट्टी पूरी तरह दलदल में तब्दील हो गई है और इस कारण यहां से गुजरने वाली गाड़ियां अक्सर यहां की मिट्टी में फंस जाती हैं. इस दौरान ग्रामीणों को और आने-जाने वाले लोगों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है.
पुलिया में लग रहा है समय तो डायवर्जन ठीक क्यों नहीं..?
सड़क के किनारे लगे बोर्ड के अनुसार काम 2024 तक पूरा होना है. बावजूद इसके यहां जो डायवर्जन है उसपर काम नहीं किया गया है और करीब 40 से 50 गांव ऐसे हैं, जिनका जिला मुख्यालय पर इसी मार्ग से आना जाना होता है. इस बीच रेशम वाली माता का मंदिर होने की वजह से भक्त यहां अक्सर आते-जाते रहते हैं.
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गांव वालों को आ रही है समस्या
शिवपुरी जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर बना रही इस पुलिया की वजह से इस इलाके से जुड़े और इस सड़क से सीधा सरोकार रखने वाले गांव भदोता ईसागढ़ रनोद खरेह रेशम वाली माता देहरदा कोलारस कटवाया मुबारकपुर जैसे बड़े गांव हैं जो पूरी तरह प्रभावित हैं. इसके अलावा और छोटे गांव के ग्रामीण भी यहां से गुजरने के लिए मशक्कत करने के लिए मजबूर हैं.