Madhya Pradesh News: पांच साल में पैसा दोगुना करने का झांसा देकर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले चिटफंड कंपनी साईं प्रसाद (Sai Prasad Company) के डायरेक्टर के. बाला साहब भापकर (Bala Saheb Bhapkar) को सीहोर जिला न्यायालय ने 170 वर्ष की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने 9 लाख 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अदालत के इस फैसले से साफ हो गया है कि अगर ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिली, तो उन्हें अपनी जिंदगी जेल में ही गुजारनी पड़ेगी.
दरअसल, साईं प्रसाद कंपनी के डायरेक्टर बाला साहब भापकर के खिलाफ जिले के गोपालपुर थाने में निवेशकों से एक करोड़ 40 लाख रुपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था. अभियोजक पक्ष ने आरोप लगाया कि 5 वर्ष में रुपये दोगुना करने का लालच देकर निवेशकों से पैसा तो ले लिया गया. लेकिन, समय पूरा होने पर जब निवेशक अपनी राशि वापस लेने गए तो कंपनी के दफ्तर पर ताला लगा मिला. इसके बाद काफी समय तक लोगों को पैसा देने का आश्वासन तो दिया गया, लेकिन किसी को पैसा वापस नहीं मिला. इसके बाद नाराज निवेशकों ने कंपनी के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करा दी. इसी मामले में अदालत ने सजा सुनाई है.
9 लाख 35 हजार का जुर्माना भी ठोका
मामले सहायक जिला अभियोजन अधिकारी प्रमोद अहिरवार ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि संजय कुमार शाही की अदालत ने चिटफंड कंपनी साईं प्रसाद कंपनी के डायरेक्टर बाला साहब भापकर को 420 चिटफंड अधिनियम में 5- 5 साल की सजा और निवेशकों की संख्या के हिसाब से सजा सुनाई . इस हिसाब से ये सजा 170 साल की सजा बनती है. इसके साथ ही अदालत ने 9 लाख 35 हजार का जुर्माना से दंडित किया है.
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ये है पूरा मामला
इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए अभियोजन के मीडिया सेल प्रभारी केदार कौरव ने कहा कि इस मामले में आरोपी रहे दीप सिंह वर्मा, राजेश उर्फ चेतनारायण परमार, लखन लाल वर्मा, जितेन्द्र कुमार वर्मा और बाला साहब भापकर ने 17 नवंबर 2009 से 13 मार्च 2016 के बीच आपसी मिलीभगत और षड्यंत्र के तहत साईं प्रसाद प्रॉपर्टीज कंपनी लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई. इन लोगों ने खुद को अपने आपको चेयरमेन, निदेशक, सीएमडी और एजेंट बताकर आसपास के निवेशकों को कंपनी में निवेश करने और 5 वर्ष में राशि दुगना करने का लालच दिया.
निवेशकों ने निवेश के पैसे की समय सीमा पूर्ण होने के बाद जब कंपनी के सीहोर स्थित कार्यालय पहुंचे, तो कार्यालय बंद मिला. इसके बाद निवेशकों ने जब आरोपियों से संपर्क किया तो उन्हें पैसे वापस देने का आश्वासन दिया, लेकिन निवेशकों को उनका पैसा कभी नहीं मिला. इसके बाद निवेशकों ने थाना कोतवाली में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी.
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