Assemblyelection2023 : मध्यप्रदेश विधान सभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election 2023) में कांग्रेस (Congress) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए उनके ही प्रत्याशी सिरदर्द बनते जा रहे है. प्रत्याशियों की सूची (MP Assembly Election Canidate List) जैसे-जैसे सामने आ रही है, वैसे-वैसे कुछ जगहों से विरोध के सुर भी सुनाई देने लगे हैं. ऐसा ही माहौल सिंगरौली (Singrauli) की देवसर विधानसभा सीट (Deosar Assembly Seat) से भी देखने को मिल रहा है, यहां स्थानीय लोग 'राजेन्द्र मेश्राम हटाओ BJP बचाओ' का नारा लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं.
स्थानीय उम्मीदवार की मांग
बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पांचवी सूची (BJP Candidate List) जारी कर दी है. इस सूची में सिंगरौली के देवसर विधानसभा सीट से राजेंद्र मेश्राम (Rajendra Meshram) को टिकट दिया गया है. टिकट की घोषणा के बाद से ही माड़ा सहित कई गांवों में राजेन्द्र मेश्राम के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई है. देवसर विधानसभा के लोग इस बार स्थानीय उम्मीदवार की मांग कर रहे हैं.
मौजूदा विधायक का टिकट कटा
सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा सीट से बीजेपी ने मौजूदा विधायक सुभाष चंद्र वर्मा का टिकट काटकर राजेन्द्र मेश्राम को अपना उम्मीदवार बनाया है. राजेन्द्र मेश्राम मूलतः बालाघाट के निवासी बताये जा रहे हैं. सिंगरौली में आकर मेश्राम ने अपना राजनीति सफर शुरू किया है. 2013 से 2018 तक देवसर विधानसभा सीट पर बीजेपी से राजेन्द्र मेश्राम विधायक रहें थे, उनके कार्यकाल से जनता नाखुश थी, काफी विरोध के बाद उनका टिकट काटकर बीजेपी ने 2018 विधानसभा चुनाव में सुभाष वर्मा को दिया था.
देवसर विधानसभा में करीब 2.20 लाख से ज्यादा मतदाता (Voter) है, सबसे ज्यादा वोटर्स हरिजन समाज के हैं, जो विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. इस सीट पर एससी वर्ग के लोगों के अलावा आदिवासी, क्षत्रिय और साहू वोटर्स की संख्या अधिक है. देवसर विधानसभा क्षेत्र में एससी वर्ग की नाराजगी से इस सीट पर भाजपा को नुकसान हो सकता है, क्योंकि यहां पूर्व विधायक सुभाष वर्मा का एससी समाज में अच्छा प्रभाव है.
पार्टी नेता उम्मीदें लगाए बैठे हैं
पार्टी के शीर्ष नेताओं की ओर से की गई कोशिशों के बावजूद भी अभी तक कहीं से पार्टी के लिए अच्छी खबर सामने नहीं आई है. हालांकि पार्टी को अब भी उम्मीद है कि समय रहते नाराज कार्यकर्ता मान जाएंगे. लेकिन अगर ये विरोध थमता नहीं है तो पार्टी को आने वाले समय में नुकसान हो सकता है.
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