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एक साथ तीन बेटियों की मौत से मां-बाप पर टूटा दुखों का पहाड़, मौत के जिम्मेदारों पर एक्शन कब ?

Painful Death Of Three Minor Sisters In Pond : तीन नाबालिग बेटियों की मौत के बाद पूरा गांव शोक की लहर में डूब गया. घटना की तस्वीरें बेहद मार्मिक करने वाली हैं. हर एक आंख नम है. वहीं, मृतक बेटियों के माता-पिता के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया. लेकिन इस पर प्रशासन क्या एक्शन लेगा ये एक बड़ा सवाल है. कब तक मौत के तालाब में ऐसी मौतें होती रहेंगी ?

एक साथ तीन बेटियों की मौत से मां-बाप पर टूटा दुखों का पहाड़, मौत के जिम्मेदारों पर एक्शन कब ?

Three Minor Sisters Death  In Satna : सतना के रीछुल गांव में तीन नाबालिग बहनों की मौत के बाद पूरे जिले में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं, गांव में शोक की लहर छाई हुई है. घोर लापरवाही से जुड़े इस मामले में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. जहां ग्रामीणों की आंखों में आंसू हैं, वहीं जहन में कहीं न कहीं अवैध खनन करके मौत का गड्ढा खनने वाले आरोपियों पर गुस्सा भी है. घटना की बेहद ही विचलित करने वाली तस्वीर सामने आई है. रविवार को तीन मृतक बहनों के शव एक साथ पन्नी में लिपटे हुए जब अंतिम मिट्टी के लिए जमीन पर रखे गए. तो देखने वाले हर शख्स की रूह कांप उठी.

पीड़ा पर सरकारी मरहम लगाने की कोशिशें

इस दर्दनाक घटना के बाद रीछुल गांव के चौरसिया परिवार पर एक साथ दुखों को पहाड़ टूट पड़ा है. अवैध खनन के गड्ढे में डूबने से तीन सगी बहनों की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर दिया है. बेटियों के वियोग का,  मां प्रभा देवी को इतना आघात हुआ है कि वह बार-बार अचेत हो जा रहीं हैं. वहीं, पिता राजकुमार की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे. जब भी कोई उन्हें सांत्वना देने पहुंचता है, तो राजकुमार की आंखें नम हो जाती हैं. एक साथ तीन बेटियों को खोने वाले परिवार की पीड़ा पर सरकारी मरहम लगाने की कोशिशें तो हुईं, लेकिन ताउम्र का दर्द देने वाले ठेकेदार, सरपंच और सचिव के खिलाफ कोई एफआईआर 20 घंटे बीतने के बाद भी नहीं की गई.

क्यों नहीं रोका गया अवैध खनन ?

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बता दें कि जसो-सलेहा का बाईपास बनाने के लिए रीछुल तालाब के पास जमकर मिट्टी का अवैध खनन हुआ. सड़क बनाने वाले ठेकेदार ने जेसीबी से मिट्टी खोदी और सड़क में इस्तेमाल किया. अवैध खनन को रोकने का काम न तो ग्राम पंचायत की सरपंच ने किया और न ही सचिव ने कोई आपत्ति की, जिसका दुष्परिणाम शनिवार को राजकुमार चौरसिया की तीन बेटियों की मौत के रुप में देखने को मिला. गौरी और तान्या जुड़वां बहने थीं, जो अपनी बड़ी बहन जान्हवी के साथ आम तोड़ने के लिए तालाब की ओर गईं थी. इसी बीच तीनों बहने अचानक गड्ढे में गिर गईं. जब तक लोगों को हादसे की जानकारी मिली तब तक बहुत देर हो चुकी थी. तीनों बच्चियों की मौत हो चुकी थी.

एंबुलेंस नहीं मिली, तो एसडीएम की गाड़ी से लाए गए शव

इस घटना का एक दर्दनाक पहलू यह भी है कि पीएम के लिए शव ले जाने को कोई शव वाहन नसीब नहीं हुआ. अंत में एसडीएम जीतेन्द्र वर्मा ने अपनी गाड़ी उपलब्ध कराई, जिसके बाद शवों को मर्चुरी शिफ्ट किया गया. फिलहाल अब इस मामले में आरोप और प्रत्यारोप का दौर जारी है. पुलिस ने पीएम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया है. वहीं अब उनके शवों को दफना दिया गया.

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कब भरे जाएंगे मौत के गड्ढे?

रीछुल गांव की तरह ही तमाम इलाकों में सड़क बनाने वाली या फिर रेलवे लाइन का काम करने वाली ठेका कंपनियों ने खनन किया और उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया. न तो उनकी फिलिंग की गई और न ही अभी तक इसकी कोई तैयारी दिखाई दे रही है. यदि मौत के गड्ढ़े नहीं भरे जाएंगे तो आगे आने वाले दिनों में भी इसी प्रकार से हादसे होने की आशंका बनी रहेगी. ठेकेदार, सरपंच और सचिव के खिलाफ एफआईआर के प्रश्र पर थाना प्रभारी रोहित यादव ने कहा कि अभी इस मामले में केवल मर्ग कायम है, विवेचना के दौरान मिले तथ्यों की पुष्टि के लिए विभागों से जानकारी ली जा रही है, उसके बाद ही कायमी की जाएगी.

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