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डॉ प्रभात का कमाल: 15 लाख की मशीन की जरूरत खत्म, 80 रुपये के 'फॉलिस कैथेटर' से बच्चों की आहार नली में फंसा सिक्का निकलेगा

सतना मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग के एचओडी डॉ प्रभात सिंह बघेल ने बच्चों की आहार नली में फंसे सिक्कों को निकालने की सस्ती और सुरक्षित तकनीक विकसित की है. महंगी एंडोस्कोपी मशीन की जगह महज 80 रुपये के फॉलिस कैथेटर से यह प्रक्रिया संभव हुई. एम्स सहित देशभर के विशेषज्ञों ने इस शोध को सराहा है.

डॉ प्रभात का कमाल: 15 लाख की मशीन की जरूरत खत्म, 80 रुपये के 'फॉलिस कैथेटर' से बच्चों की आहार नली में फंसा सिक्का निकलेगा

सतना शासकीय मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रभात सिंह बघेल ने बच्चों की आहार नली में फंसे सिक्कों को सुरक्षित और सरल तरीके से निकालने की एक प्रभावी तकनीक विकसित की है. इस नवाचार के लिए उनके शोध को देशभर में सराहना मिली है. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा भी उनके प्रयास की प्रशंसा की गई है. 12-14 दिसंबर के बीच भोपाल में आयोजित शिशुरोग विशेषज्ञों की राष्ट्रीय वार्षिक कॉन्फ्रेंस में डॉ. प्रभात ने अपना शोध प्रस्तुत किया. देशभर से आए करीब 700 पीडियाट्रिक्स विशेषज्ञों के बीच उनके शोध पत्र को प्रथम स्थान प्रदान किया गया.

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80 रुपये के फॉलिस कैथेटर की मदद से सफलता

डॉ. प्रभात के अनुसार, सामान्यतः आहार नली में फंसे सिक्कों को निकालने के लिए करीब 15 लाख रुपये की महंगी पीडियाट्रिक एंडोस्कोपी मशीन की आवश्यकता होती है. लेकिन, उन्होंने महज 80 रुपये के फॉलिस कैथेटर की मदद से यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक कर दिखाई. यह तरीका न केवल सस्ता है, बल्कि उन अस्पतालों के लिए भी बेहद उपयोगी है, जहां एंडोस्कोपी या गैस्ट्रो विभाग की सुविधा उपलब्ध नहीं है.

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68 बच्चों की आहार नली में फंसे सिक्कों को निकाला 

डॉ. प्रभात ने  बताया कि वर्ष 2023 और 2024 के दौरान जिला अस्पताल सतना में शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव के सहयोग से 68 बच्चों की आहार नली में फंसे सिक्कों को फॉलिस कैथेटर तकनीक से सुरक्षित रूप से निकाला गया. पहले ऐसी स्थिति में बच्चों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ता था, जिससे समय और संसाधनों की हानि होती थी.

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आहार नली में सिक्का फंसना गंभीर समस्या 

डॉ. प्रभात के अनुसार, आहार नली में सिक्का फंसना एक गंभीर आपात स्थिति होती है, जिसमें बच्चे को तेज दर्द, उल्टी और सांस रुकने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. उनका यह शोध बच्चों के त्वरित और सुरक्षित उपचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है.

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