Sarva Pitru Amavasya : उज्जैन (Ujjain) और सीहोर (Sehore) में सर्व पितृ अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जो अपने पितरों की शांति और बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए शिप्रा और नर्मदा नदी में स्नान करने पहुंची. दोनों स्थानों पर पारंपरिक रूप से आत्माओं से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए विशेष आयोजन होते हैं, जिन्हें भूतों का मेला कहा जाता है. जानकारी के लिए बता दें कि सर्व पितृ अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक ग्रंथों की मानें तो सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष की समाप्ति का संकेत है. इसमें पितरों की विदाई की जाती है. उज्जैन में हर साल सर्व पितृ अमावस्या पर केडी पैलेस पर भूतों का मेला लगता है. इस वर्ष भी बुधवार को भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे, जिनमें से कई लोग शरीर में बुरी आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए आए थे. केडी पैलेस पर बने 52 कुंडों में स्नान कर श्रद्धालुओं ने आत्माओं से मुक्ति पाने का प्रयास किया.
इसी कड़ी में इस अमावस्या पर लोग तर्पण करने के लिए भी शिप्रा नदी के रामघाट और सिद्धवट में पहुंचे. इसके साथ ही कुछ श्रद्धालु शारीरिक कष्ट से छुटकारा पाने के लिए अनोखी हरकतें करते दिखे, जैसे तलवार से अपनी जीभ काट लेना... आदि!
सीहोर के बुधनी में भूतड़ी अमावस्या स्नान
सीहोर के बुधनी में भी भूतड़ी अमावस्या के अवसर पर नर्मदा नदी के अवलीघाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई. यहां पितरों की शांति और बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए स्नान किया जाता है. भूतड़ी अमावस्या के दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए स्नान आवश्यक माना जाता है, जिनके शरीर में देवी-देवताओं की उपस्थिति या तंत्र-मंत्र की बाधा होती है.
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अवलीघाट पर श्रद्धालुओं ने की पूजा-पाठ
आज भूतड़ी अमावस्या पर स्नान के दौरान नर्मदा नदी में इलाज किया जाता है. बुधनी के अवलीघाट को लेकर विशेष मान्यता है कि यहां रात भर बैठक होती और देवी देवता घूमते हैं. वहीं, लाखों की संख्या में श्रद्धालु नर्मदा घाट पर स्नान कर अपने पितरों के लिए मोक्ष की प्राप्ति के लिए पूजन-पाठ करते हैं. यह माना जाता है कि इन विशेष स्नानों से आत्माओं को मोक्ष मिलता है और बुरी आत्माओं का प्रभाव समाप्त होता है.
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