Cheetah Reintroduction India: मध्य प्रदेश के सागर और दमोह जिलों में फैला वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व अब एक बार फिर इतिहास रचने जा रहा है. यहां जल्द ही चीतों की आमद होने वाली है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने इसके लिए सेंट्रल कैंपा फंड से बजट स्वीकृत कर दिया है. वन विभाग ने इस मिशन को तेजी से आगे बढ़ाते हुए 4 क्वारैंटाइन बोमा और 1 सॉफ्ट रिलीज बोमा तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
मुहली, सिंहपुर और झापन रेंज में बसेंगे चीते
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मुहली, सिंहपुर और झापन रेंज को चीतों के बसाव के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है. खास बात यह है कि यह देश का पहला टाइगर रिजर्व होगा, जहां बाघ, तेंदुआ और चीता—तीनों एक ही जगह देखे जा सकेंगे. इससे न केवल वन्यजीव प्रेमियों का उत्साह बढ़ेगा बल्कि यह क्षेत्र वाइल्डलाइफ टूरिज्म के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन जाएगा.
2010 में हुई थी चीतों की पहचान
चीतों की इस वापसी की कहानी कोई नई नहीं है. वर्ष 2010 में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) ने सागर के इसी क्षेत्र (तब के नौरादेही अभयारण्य) को चीतों के लिए सबसे उपयुक्त स्थल बताया था. हाल ही में NTCA के डीआईजी डॉ. वीवी माथुर, और WII के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एए अंसारी ने रिजर्व के मुहली, झापन और सिंहपुर रेंज का विस्तृत सर्वे किया. उनके मुताबिक यह इलाका चीतों के बसने के लिए पूरी तरह तैयार है.
प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व का कोर एरिया 1414 वर्ग किलोमीटर और बफर एरिया 925.120 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो इसे मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बनाता है. यहां पहले भी चीतों के वास के प्रमाण मिल चुके हैं. रिजर्व के विशाल ग्रासलैंड क्षेत्र और गांवों के विस्थापन के बाद बने खुले मैदान अब चीतों के लिए आदर्श आवास माने जा रहे हैं.
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प्राकृतिक शिकार की प्रचुरता
रिजर्व में चीतल, चिंकारा और काले हिरण जैसी प्रजातियां बड़ी संख्या में पाई जाती हैं, जो चीतों का प्राकृतिक शिकार हैं. वन विभाग का मानना है कि शिकार की इतनी प्रचुरता के कारण बाघों और चीतों के बीच टकराव की संभावना बेहद कम रहेगी. इससे यहां के वन्यजीव संतुलन को भी मजबूती मिलेगी.
प्रदेश के वन्यजीवों को मिलेगा नया आयाम
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में चीतों की बसाहट से न केवल प्रदेश का वन्यजीव परिदृश्य नया रूप लेगा, बल्कि यह इलाका देश के प्रमुख वन्यजीव पर्यटन केंद्रों में भी शामिल हो जाएगा. रिजर्व के उप संचालक डॉ. एए अंसारी का कहना है कि चीतों की वापसी से प्रदेश को नया वन्यजीव गौरव मिलेगा और सागर का यह इलाका राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाएगा.
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