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Omkareshwar Wildlife Sanctuary: खंडवा और देवास में बनेगा ओंकारेश्वर अभ्यारण्य; टाइगर, भालू, लेपर्ड  जैसे वन्यजीव देख सकेंगे पर्यटक

मध्य प्रदेश में खंडवा-देवास के घने जंगलों को मिलाकर नया ओंकारेश्वर अभ्यारण्य घोषित हुआ है, जो राज्य का 27वां wildlife sanctuary और tiger-haven बनेगा. यहां पर्यटक टाइगर, भालू, लेपर्ड सहित अनेक वन्यजीव देख सकेंगे,

Omkareshwar Wildlife Sanctuary: खंडवा और देवास में बनेगा ओंकारेश्वर अभ्यारण्य; टाइगर, भालू, लेपर्ड  जैसे वन्यजीव देख सकेंगे पर्यटक

Omkareshwar Wildlife Sanctuary: मध्य प्रदेश के 70वें स्थापना दिवस पर राज्य को एक और प्राकृतिक उपहार मिला है. खंडवा और देवास जिलों के घने जंगलों को मिलाकर नया 'ओंकारेश्वर अभ्यारण्य' बनाया जाएगा. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि यह अभ्यारण्य न सिर्फ वन्यजीवों की सुरक्षा का केंद्र बनेगा, बल्कि अपने आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण साबित होगा. इस कदम से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे.

611 वर्ग किलोमीटर में फैलेगा अभ्यारण्य

खंडवा और देवास के वन विभागों के अनुसार, कुल 611 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को मिलाकर यह नया अभ्यारण्य बनाया जाएगा. इसमें खंडवा जिले का लगभग 350 वर्ग किलोमीटर और देवास जिले का करीब 260 वर्ग किलोमीटर इलाका शामिल होगा. इस क्षेत्र को खास बात यह है कि इसमें कोई आबादी वाला इलाका शामिल नहीं है, जिससे विस्थापन की स्थिति नहीं बनेगी. यह निर्णय पर्यावरण और स्थानीय समुदाय दोनों के लिए संतुलित कदम माना जा रहा है.

खीवनी अभ्यारण्य से जुड़ने वाला कॉरिडोर बनेगा

डीएफओ खंडवा, राकेश कुमार डामोर ने बताया कि नए अभ्यारण्य को देवास जिले के खीवनी अभ्यारण्य से जोड़ा जाएगा. खीवनी में पहले से 11 बाघ मौजूद हैं. यह कॉरिडोर बनने के बाद टाइगर और अन्य वन्यजीवों के लिए सुरक्षित मूवमेंट जोन तैयार होगा. इस क्षेत्र में पहले से टाइगर, भालू, लेपर्ड, हायना जैसे शिकारी जानवरों के साथ-साथ कई तरह के शाकाहारी जीव और पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं.

इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार, पर्यटक सुविधाओं पर जोर

ओंकारेश्वर क्षेत्र में अभ्यारण्य की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. वन विभाग ने चेकपोस्ट, वॉच टावर, पेट्रोलिंग कैंप और स्टाफ रेजिडेंस जैसी बेसिक सुविधाएँ पहले ही विकसित कर ली हैं. इसका उद्देश्य है कि यहां आने वाले पर्यटकों को सुरक्षित और बेहतर अनुभव मिले. प्रशासन का मानना है कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ यह जगह जल्द ही मध्य प्रदेश के प्रमुख वाइल्डलाइफ टूरिज़्म सर्किट का हिस्सा बनेगी.

प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक महत्व

ओंकारेश्वर का इलाका वैसे भी अपने इंदिरा सागर बांध के बैकवॉटर और सैकड़ों छोटे-बड़े टापुओं के कारण बेहद मनमोहक माना जाता है. घने जंगल, शांत जल और पक्षियों की मधुर आवाज़ मिलकर इसे अनोखा प्राकृतिक अनुभव बनाते हैं. यही नहीं, ओंकारेश्वर का धार्मिक महत्व भी है यह क्षेत्र भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक का निवास स्थान है. इस कारण यह जगह आध्यात्मिक पर्यटन का भी बड़ा केंद्र बन सकती है.

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पर्यटन से बढ़ेगा रोजगार

अभ्यारण्य बनने के बाद स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे. गाइड, ट्रैवल ऑपरेटर, हॉस्पिटैलिटी और इको-टूरिज़्म से जुड़े व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा. सरकार का उद्देश्य है कि वाइल्डलाइफ संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय आबादी को भी इसका सीधा लाभ मिले. आने वाले समय में यह प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था और पर्यटन दोनों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है.

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