विज्ञापन

27 क्रांतिकारियों की फांसी का गवाह है नीमच का ये पेड़, यहीं से भरी गई थी आजादी की पहली हुंकार

Republic Day 2025: आजादी के आंदोलन के समय अंग्रेजों ने एक बरगद के पेड़ पर 27 क्रांतिकारियों को एकसाथ फांसी पर लटका दिया था, जो आज भी उन शहीदों का चश्मदीद गवाह है.

27 क्रांतिकारियों की फांसी का गवाह है नीमच का ये पेड़, यहीं से भरी गई थी आजादी की पहली हुंकार

Republic Day 2025 Special Story: मध्य प्रदेश के नीमच में एक बरगद का पेड़ है, जिसे जल्लाद पेड़ कहा जाता है. आजादी के आंदोलन के समय अंग्रेजों ने इस पेड़ पर 27 क्रांतिकारियों को फांसी दी थी. अंग्रेजों ने इन क्रांतिकारियों को एक ही बरगद पर एकसाथ फांसी पर लटका दिया था. वहीं अब इस पेड़ की रक्षा आर्मी, नेवी और एयरफोर्स से रिटायर्ड लोग करते हैं. 26 जनवरी, शहीद दिवस, कारगिल दिवस, 15 अगस्त को यहां कई आयोजन भी होते हैं. इस दौरान यहां वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है. ऐसे में इस गणतंत्र दिवस के मौके पर जानते हैं बरगद की कहानी.

आजादी की लड़ाई में नीमच का रहा विशेष योगदान

अंग्रेजों से लड़ाई में नीमच का विशेष योगदान रहा है. दरअसल, 1857 की क्रांति में मध्य प्रदेश-राजस्‍थान में पहली आवाज नीमच से उठी थी. कहा जाता है कि 3 जून, 1857 को मध्य प्रदेश के नीमच से पहली गोली चली थी, लेकिन बाद में इस क्रांति को दबा दिया था.

Latest and Breaking News on NDTV

27 क्रांतिकारियों को फांसी पर लटकाया था

क्रांति दब जाने के बाद अंग्रेजों ने आजादी के लिए आवाज उठाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी पर लटकाया था. यहां आज भी वो पेड़ है, जिसपर 27 क्रांतिकारियों को फांसी दी थी. ये पेड़ 1857 की क्रांति के उन शहीदों का चश्मदीद गवाह है. फांसी की सजा पाने वाले रामरतन खत्री, प्‍यारे खान पठान, रूप सिंह राजपूत, दिलीप सिंह केसर सिंह बैंस जैसे कई क्रांतिकारी शामिल थे. 

शहीदों का चश्मदीद गवाह है ये पेड़

नीमच के इस इतिहास को दीवारों पर भी सजाया गया है, ताकि आने वाली पीढ़ी इस इतिहास को याद रखें. इसके अलावा इस घटना पर शिक्षाविद डॉ सुरेंद्र सिंह शक्तावत ने '1857 की क्रांति और नीमच' नाम से एक किताब लिखी है. जिसका विमोचन प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था.

Latest and Breaking News on NDTV

क्रांति पर लिखी गई किताब

'1857 की क्रांति और नीमच' में नीमच के इतिहास से जुड़ी और स्वतंत्रता की कई महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख है. इसी किताब में स्वतंत्रता की पहली गोली चलाने का उल्लेख भी किया गया है. इसमें ये भी बताया गया है कि मूल पेड़ 1977 में बारिश और आंधी की वजह से गिर गया था. इसके बाद उसकी एक शाखा को पास में ही लगा दिया गया, जो आज विशाल पेड़ बन गया है.

ये भी पढ़े: बहन पर 1 लाख का इनाम, गोलियों की तड़तड़ाहट में पली-बढ़ी सीमा मुचाकी गणतंत्र दिवस परेड में देगी सलामी

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close