Bilaspur News in Hindi: भारत की आजादी से पहले जब देश अंग्रेजों का गुलाम था, तब पूरे देश में कई विसंगतियों के साथ छुआछूत (Untouchability) जैसी बड़ी सामाजिक समस्या स्वतंत्रता के रास्ते में रुकावट बन रही थी. तब देश के कई महापुरुषों और विद्वानों ने समाज को जागरूक करने का प्रयास किया और देश के विभिन्न हिस्सों में सभा का आयोजन किया. ऐसे ही सभा के बारे में बात करेंगे, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने छुआछूत को दूर करने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर में आयोजित सभा में शामिल हुए. वो दिन बिलासपुर जिला और क्षेत्र वासियों के लिए ऐतिहासिक रहा. उनके आगमन की सूचना मिलते ही शहर और आसपास के लाखों लोग हफ्तों पहले शनिचरी बाजार स्थित सभा स्थल पर पहुंचने लगे.
बैलगाड़ियों से पहुंचे थे लाखों की संख्या में लोग
25 नवंबर 1933 का वो दिन, जब बापू के स्वागत के लिए कुंज बिहारी अग्निहोत्री, डॉक्टर शिव दुलारे मिश्रा और बैरिस्टर छेदीलाल जैसे प्रमुख नेता मौजूद थे. उन्हें देखने बैलगाड़ियों में लाखों की संख्या में भीड़ इकट्ठा हो गई, जिसे नियंत्रित कर पाना बहुत ही मुश्किल हो गया था. फिर महात्मा गांधी ने खुद मोर्चा संभाला और हाथों से इशारा करते हुए लोगों को शांत रहने की अपील की. लोगों ने बड़े ही शांति से उनकी बातों को सुना.
दलितों और हरिजनों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को रोकने का प्रयास
जानकारों का कहना है कि गांधी जी बिलासपुर में आयोजित सभा में दलित और हरिजन समाज के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और छुआछूत को दूर करने का प्रयास किया. गांधी जी के प्रति लोगों में आदर और श्रद्धा का भाव इस कदर था कि सभा खत्म होने के बाद वहां मौजूद लोगों ने सभा स्थल से मिट्टी उठाकर अपने साथ ले गए और उस मिट्टी को संजो कर रखा. आज भी इस स्थान को चबूतरा नुमा बनाकर वहां पीपल का पेड़ लगाया गया है. महात्मा गांधी के उस सभा को यादगार बनाने वहां जय स्तंभ का निर्माण किया गया है. साथ ही, वहां शिला लेख में जातिवाद और छुआछूत को दूर करने गांधी जी के शब्दों को उकेरा गया है.
छूआछूत हिंदूधर्म का अंग नहीं-महात्मा गांधी
महात्मा गांधी ने छुआछूत को हिंदू समाज का अंग नहीं होना बताते हुए कहा था, 'हरिजन कोई दूसरा नही वरन अपने ही समाज का एक अंग है. छुआछूत को मानना मानवता के दृष्टिकोण से बहुत गलत है. छूआछूत हिंदूधर्म का अंग नहीं हैं. इतना ही नहीं, बल्कि उसमें घुसी हुई सड़न है, वहम है, पाप है और उसका निवारण करना प्रत्येक हिंदु का धर्म है और कर्तव्य है.'
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आंदोलन में भागीदारी की अपील
सभा के माध्यम से गांधी जी ने बिलासपुर के सभी वर्गों को एक समान बताते हुए जाति भेदभाव और छुआछूत नहीं करने की अपील की थी. साथ ही, स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदार बनने के लिए लोगों से आग्रह किया था. उस स्मरणीय पल को आज भी शहरवासी याद करते हैं और स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर आज भी झंडा फहराते हैं. देश की आजादी से जुड़े ऐसे ऐतिहासिक स्मारक स्थलों को आज लोग भूलने लगे हैं जिन्हें सुरक्षित और संरक्षित रखने की आवश्यकता है.
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