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Vidisha Rape Case: शर्मनाक! डेढ़ साल की बच्ची से दुष्कर्म; कोर्ट सुनाई ऐसी सजा

Rape Case: अभियोजन पक्ष की ओर से एडिशनल डीपीओ ने बेहद मजबूती के साथ पक्ष रखा. गवाहों के बयान प्रभावी ढंग से रखे गए. मेडिकल रिपोर्ट और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को अदालत में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया गया. आरोपी के बचाव पक्ष के हर तर्क को तथ्यात्मक आधार पर खारिज किया गया. इसके बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया, जिसने पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाया.

Vidisha Rape Case: शर्मनाक! डेढ़ साल की बच्ची से दुष्कर्म; कोर्ट सुनाई ऐसी सजा
Vidisha Rape Case: शर्मनाक! डेढ़ साल की बच्ची से दुष्कर्म; कोर्ट सुना दी ऐसी सजा

Vidisha Rape Case: विदिशा ज़िले के कुरवाई क्षेत्र में घटित एक दर्दनाक घटना ने पूरे समाज को हिला कर रख दिया था. डेढ़ साल की मासूम बच्ची के साथ हुई इस अमानवीय वारदात में आरोपी को अदालत ने दोषी पाते हुए 20 साल के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई है. यह निर्णय न केवल न्याय व्यवस्था की ताक़त का परिचायक है बल्कि उन अपराधियों के लिए भी कठोर संदेश है, जो समाज की नन्हीं मासूम जिंदगियों को अपना शिकार बनाते हैं. पीड़िता की बुआ ने तुरंत हिम्मत दिखाते हुए थाना पठारी पहुंचकर मामले की शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पॉक्सो एक्ट और अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया था.

घटना का पूरा घटनाक्रम

यह हृदयविदारक घटना 12 नवंबर 2024 की सुबह लगभग 8 बजे की है. पीड़िता की बुआ अपनी भाभी की डिलीवरी के कारण बच्ची को अपने गांव ले आई थीं. बच्ची घर के बरामदे में खेल रही थी जबकि बुआ घर के कामों में व्यस्त थीं. इसी दौरान आरोपी वहां पहुंचा और मासूम को अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की. बच्ची की चीख-पुकार सुनकर बुआ तुरंत बरामदे में पहुंचीं. वहां उन्होंने आरोपी को बच्ची के साथ घिनौना कृत्य करते हुए देखा. आरोपी को देखकर बुआ ने शोर मचाया, जिसके बाद आरोपी मौके से फरार हो गया.

शिकायत और तत्कालीन कार्रवाई

पुलिस ने मौके का निरीक्षण किया. बच्ची का मेडिकल परीक्षण कराया गया. प्रत्यक्षदर्शी गवाहों और परिजनों के बयान लिए गए. सभी साक्ष्यों को संकलित कर चार्जशीट तैयार की गई. जांच की कमान तत्कालीन थाना प्रभारी विमलेश राय के हाथों में थी. उन्होंने मामले को प्राथमिकता देते हुए ठोस साक्ष्य जुटाए.

न्यायालय का कठोर फैसला

अदालत में अभियोजन पक्ष ने ठोस सबूत और गवाहों की गवाही पेश की. अदालत ने सभी तथ्यों को सुनने के बाद आरोपी को दोषी करार दिया और अलग-अलग धाराओं में सज़ा सुनाई—

  • बीएनएस धारा 10 : 10 साल का कारावास
  • धारा 332(ए) : 1 साल + 1 साल का कारावास
  • पॉक्सो एक्ट : 20-20 साल का कठोर कारावास

इस तरह आरोपी को कुल 20 साल का सख्त दंड भुगतना होगा. अभियोजन पक्ष की ओर से एडिशनल डीपीओ ने बेहद मजबूती के साथ पक्ष रखा. गवाहों के बयान प्रभावी ढंग से रखे गए. मेडिकल रिपोर्ट और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को अदालत में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया गया. आरोपी के बचाव पक्ष के हर तर्क को तथ्यात्मक आधार पर खारिज किया गया. इसके बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया, जिसने पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाया.

समाज और कानून के लिए संदेश

यह फैसला न केवल एक मासूम को न्याय दिलाने का उदाहरण है बल्कि समाज को यह भी सिखाता है कि :

  • बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की अमानवीय वारदात को कानून हल्के में नहीं लेगा.
  • पॉक्सो एक्ट के तहत ऐसे अपराधियों को त्वरित और कठोर सज़ा दी जाएगी.
  • महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है.

समाज पर सवाल 

विदिशा ज़िले की इस घटना ने हर किसी के दिल को झकझोर दिया था. मासूमों की चीखें समाज के लिए एक सवाल खड़ा करती हैं कि कब तक नन्हीं जिंदगियां ऐसे दरिंदों का शिकार होती रहेंगी. लेकिन न्यायालय के इस कठोर फैसले ने यह भरोसा दिलाया है कि कानून की पकड़ से कोई भी अपराधी बच नहीं सकता.

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