Tiger Census 2025: मध्य प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व रानी दुर्गावती (वीरांगना दुर्गावती) टाइगर रिजर्व में पहली बार बाघों की आधिकारिक गणना शुरू हो गई है. यह प्रक्रिया वन विभाग के लिए बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि इससे न सिर्फ बाघों की सही संख्या पता चलेगी, बल्कि उनके व्यवहार और मूवमेंट से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी सामने आएंगी.
चार चरणों में होगा बाघों का सर्वे
इस बार बाघों की गिनती एक तय प्रक्रिया के तहत की जा रही है. सर्वे को चार चरणों में पूरा किया जा रहा है, जिसमें वन विभाग के कर्मचारी लगातार जंगल में गश्त कर रहे हैं और तकनीक की मदद से डेटा इकट्ठा कर रहे हैं.
कैमरा ट्रैपिंग और डीएनए सैंपलिंग से मिलेंगे सुराग
टाइगर रिजर्व में बाघों की गतिविधियों को समझने के लिए कैमरा ट्रैपिंग, डीएनए सैंपलिंग और पैदल गश्त (लाइन ट्रांसेक्ट पद्धति) का उपयोग किया जा रहा है. रिजर्व के करीब 1200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को 550 ग्रिड में बांटा गया है और हर ग्रिड में कैमरे लगाए जा रहे हैं. इन कैमरों में बाघों के आने-जाने, शिकार और अन्य वन्यजीवों की आवाजाही की तस्वीरें कैद होंगी.
पहली बार होगा डीएनए सैंपल का इस्तेमाल
अधिकारियों ने बताया कि यह पहली बार है जब इस टाइगर रिजर्व में बाघों का डीएनए सैंपल लिया जा रहा है. डीएनए की जांच से पता चलेगा कि बाघ किस इलाके से आया है, उसका खानपान कैसा है, वह कौन से वन्यजीवों का सबसे ज्यादा शिकार करता है. यह जानकारी भविष्य में बाघों की सुरक्षा रणनीतियों को और मजबूत बनाने में मदद करेगी.
WII को भेजा जाएगा पूरा डेटा
सर्वे पूरा होने के बाद सभी तस्वीरें, वीडियो और डीएनए से मिले आंकड़े देहरादून स्थित Wildlife Institute of India (WII) को भेजे जाएंगे. यहीं पर अंतिम विश्लेषण के बाद बाघों की अधिकृत संख्या जारी की जाएगी.
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पर्यटन और संरक्षण दोनों के लिए अहम सर्वे
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व हाल ही में अधिसूचित हुआ है. यह मध्य प्रदेश का 7वां और देश का 54वां टाइगर रिजर्व है. सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले तक फैले इस रिजर्व में आगे चलकर चीतों को बसाने की भी योजना है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह सर्वे रिजर्व के भविष्य के संरक्षण प्रयासों और वन्यजीव पर्यटन के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा.
पहली गिनती से बढ़ी उम्मीदें
वन विभाग के अनुसार, यह पहली आधिकारिक बाघ गणना इस रिजर्व के लिए एक बड़ी और निर्णायक प्रक्रिया है. इससे जंगल की असली स्थिति साफ होगी और आने वाले वर्षों में बाघों के संरक्षण और विस्तार की योजना और बेहतर बन सकेगी.
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