Students Suicide Case: देश-प्रदेश में स्टूडेंट के सुसाइड का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. कुछ दिनों पहले ही कोटा में कोचिंग छात्रा ने सुसाइड किया था. यह छात्रा इंजीनियरिंग प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी. वहीं इससे पहले कोटा में ही नीट (NEET) की तैयारी कर रहे एक स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया था. सुसाइड नोट में जेईई (JEE) की तैयारी कर रही छात्रा ने लिखा था कि ‘मम्मी-पापा, मैं जेईई नहीं कर सकती इसलिए मैं आत्महत्या कर रही हूं. मैं असफल हूं. सबसे खराब बेटी हूं. सॉरी मम्मी पापा. यही आखिरी विकल्प है.' छात्रों की आत्महत्या का मामला संसद में भी गूंजा है. शुक्रवार को राज्यसभा में छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने इस मुद्दे को उठाते हुए अपने कुछ सुझाव भी दिए हैं.
देश में जिस तरह से छात्र आत्महत्या कर रहे हैं, यह बेहद ही गंभीर विषय है।
— Congress (@INCIndia) February 2, 2024
अभी तक 35 हजार छात्र निराश होकर आत्महत्या कर चुके हैं। सरकार को इस बारे में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।
इसपर मेरे 5 सुझाव हैं-
1. मेंटल हेल्थ इंस्टीट्यूट बनाने चाहिए
2. टीचर्स और स्टाफ को बच्चों को निराशा… pic.twitter.com/7tnqKB7hAZ
सरकार को इस बारे में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए : राजीव शुक्ला
राजीव शुक्ला ने संसद में कहा कि देश में जिस तरह से छात्र आत्महत्या कर रहे हैं, यह बेहद ही गंभीर विषय है. अभी तक 35 हजार छात्र निराश होकर आत्महत्या कर चुके हैं. सरकार को इस बारे में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए. इसपर मेरे 5 सुझाव हैं-
1. मेंटल हेल्थ इंस्टीट्यूट बनाने चाहिए
2. टीचर्स और स्टाफ को बच्चों को निराशा के दौर से निकालने की ट्रेनिंग देनी चाहिए
3. फर्स्ट ऐड का इस्तेमाल करना चाहिए
4. जागरूकता अभियान चलाना चाहिए
5. Stigma जैसी चीजों को दूर किया जाना चाहिए
ऐसे हैं आंकड़ें
पिछले साल दिसंबर में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने संसद को जानकारी देते हुए कहा था कि देश में 2019, 2020 और 2021 में कम से कम 35,950 छात्रों की आत्महत्या से मृत्यु हुई है. कोटा में देशभर से हर साल लाखों छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं. पिछले साल यहां छात्रों की आत्महत्या के 26 मामले सामने आये थे.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है
राजस्थान के कोटा के कोचिंग संस्थानों (Kota Students Suicide) में छात्रों की बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उनके माता-पिता को जिम्मेदार ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि छात्रों के बीच बढ़ती आत्महत्याओं के लिए कोचिंग सेंटर्स (Coaching Institutes) को दोषी ठहराना उचित नहीं है, क्योंकि माता-पिता की उम्मीदें बच्चों को जान देने के लिए मजबूर कर रही हैं.
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