![इससे अच्छा तो मजदूरी है...! बजट में बड़े-बड़े वादे लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 3 महीने से नहीं मिली सैलरी इससे अच्छा तो मजदूरी है...! बजट में बड़े-बड़े वादे लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 3 महीने से नहीं मिली सैलरी](https://c.ndtvimg.com/2024-02/6okrua7_anganwadi_625x300_01_February_24.jpg?downsize=773:435)
Anganwadi Workers : केंद्र ने बजट में भले ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं (Anganwadi Workers) और सहायिकाओं के लिए बड़े-बड़े ऐलान किए हों लेकिन मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में पिछले 3 महीने से उन्हें तनख्वाह तक नहीं मिली है. लगातार सरकार से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपना वेतन (Salary) मांग रहे हैं लेकिन कई बार ज्ञापन देने के बावजूद भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही.
श्यामवती भारती भोपाल से 25 किलोमीटर दूर फंदा कलां में रहती हैं. आंगनबाड़ी नंबर में काम करती हैं. आंगनबाड़ी के अलावा और भी कई सरकारी योजनाओं में ड्यूटी लगती है. अरूणा भी इतनी ही मेहनत करती हैं. काम ज्यादा, दाम कम, ऊपर से तनख्वाह में महीनों की देरी.
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'इससे अच्छा तो मजदूरी थी'
श्यामवती भारती कहती हैं, 'हम लोगों को 3 महीने से सैलरी नहीं मिलने से हमारी बहुत दयानीय स्थिति हो गई है. हमारे घर में बहुत दिक्कत आ रही हैं. हमारे पति की तबीयत खराब है. हमारी भी तबीयत खराब है. बच्चों की स्कूल की फीस भरना है. बिजली का बिल भी जमा करना है. हमें बहुत सारी स्थितियों से गुजरना पड़ रहा है. इससे अच्छा तो मजदूरी है. सुबह जाकर शाम को काम कर लाते और बच्चों को खाना खिला देते. किसी से पैसा मांगो तो वह 5 से 10 प्रतिशत ब्याज पर देता है. किसी के पास जेवर गिरवी रखो तब वह पैसा उधार देता है. अगर हमारे पास कुछ जेवर होते तो यहां नौकरी क्यों करते.'
'लाड़ली बहनों के लिए बजट है लेकिन हमारे लिए नहीं'
अरुणा कीर ने कहा, 'हमारे घर में भी खाने के लिए कुछ नहीं है. हम पड़ोसी से भी मांगते हैं तो वह कहता है कि आप नौकरी तो कर रही हो क्या आपके पास पैसा नहीं है. ऐसा बोलकर ताने मारते हैं और हंसते हैं. ब्याज से पैसे लिए हैं वह भी नहीं चुका पा रहे हैं. सरकार भी हमारी कोई मदद नहीं करती है और समय पर वेतन भी नहीं मिलता है. दो-तीन बार ज्ञापन दे चुके हैं लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. लाड़ली बहना को देने के लिए बजट है लेकिन कार्यकर्ताओं को देने के लिए बजट नहीं है. हम लोगों को मानदेय नहीं मिल रहा है.'
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'दवा तो दूर खाने के भी पड़ चुके हैं लाले'
गंगा फंदाखुर्द में रहती हैं. उन्हें 6500 रुपए मानदेय मिलता है. इलाज के लिए उधार लिया था. अब तनख्वाह में देरी से उधार नहीं चुका पा रही हैं. गंगा बताती हैं, 'हमें हर महीने 6500 रुपए मानदेय मिलते हैं जो 3 महीने से नहीं मिला है. मेरे कूल्हे के ऊपर एक गांठ थी. उधार लेकर उसका ऑपरेशन कराया. 3 महीने तक इलाज चला. बड़ी मुश्किल से ठीक हुई. सोचा था पेमेंट मिलेगा तो उधार चुका देंगे लेकिन 3 महीने से पेमेंट नहीं मिली. अब तो खाने के भी लाले पड़ रहे हैं. हमारा सरकार से विभाग से अनुरोध है कि जल्द से जल्द हमारा मानदेय दिया जाए.
गुस्से में बदल रही तनख्वाह में देरी
तनख्वाह में देरी गुस्से में बदल रही है. गुरूवार को भोपाल में कलेक्टर दफ्तर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की. महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत परियोजना अधिकारी और सुपरवाइजरों की भी शिकायत है कि उन्हें तनख्वाह वक्त पर नहीं मिल रही है. प्रदेश अध्यक्ष परियोजना अधिकारी संघ एवं संयोजक संयुक्त मोर्चा संघ इंद्रभूषण तिवारी ने कहा कि प्रदेश की 35 जिलों की लगभग 60,000 से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को पिछले 3 महीने से मानदेय नहीं मिला है. इसी तरह 300 परियोजना अधिकारी और लगभग 3000 सुपरवाइजर भी 2 महीने से अपने वेतन से वंचित हैं. वेतन नहीं मिलने से सभी की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है. इसको लेकर हमारे संघ के द्वारा मंत्री को ज्ञापन दिया गया लेकिन उसे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.'
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बजट में सरकार ने किया बड़ा वादा
सरकार का कहना है उन्हें पता है देरी हो रही है लेकिन दावा है जल्द तनख्वाह मिलेगी. महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री निर्मला भूरिया का कहना है कि जल्द वेतन दिया जाएगा. सोमवार को सरकार ने अपने बजट में एक बड़ी घोषणा करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को भी आयुष्मान भारत योजना का लाभ देने का वादा किया है.
हालांकि मध्य प्रदेश की 35 जिलों की 60000 से ज्यादा महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका पिछले 3 महीने से अपने मानदेय के इंतजार में हैं, जिसके चलते उनका खुद का बजट बिगड़ चुका है और उनकी माली हालत काफी खराब हो चुकी है.