Bhopal PM Awas Yojana: शहर में एक घर का सपना हर इंसान का होता है. लोगों की इस इच्छा-आकांक्षा को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार ने पीएम आवास योजना पर खासा जोर दिया है. लेकिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जिन लोगों ने पीएम आवास योजना के तहत मकान लिए उनके सपनों पर ग्रहण लगता लगता दिख रहा है. क्योंकि यहां प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) के तहत हाउसिंग प्रोजेक्ट अधूरे (Incomplete Housing Projects) हैं. हालत ये है कि जो घर 2 साल में मिलना था वह 5 साल बाद भी लोगों को नहीं मिल पाया है. मतलब लोग दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं. एक तो मकान की किस्त देनी है दूसरे जहां वे रह रहे हैं वहां का किराया. जब इस संबंध में NDTV ने नगर निगम की महापौर से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि मेरी संवेदना रहवासियों के साथ है. उन्होंने बताया कि अधिकारियों से चर्चा हुई है और मैंने अधूरे मकानों को जल्द पूरा करवा कर पजेशन देने का निर्देश दिया है.
दरअसल भोपाल में नगर निगम के बागमुगालिया, गंगानगर और 12 नंबर समेत कई जगहों पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बन रहे हैं. लेकिन इसमें अधिकारियों की लेटलतीफी आम लोगों पर भारी पड़ रही है. जिन लोगों ने इस उम्मीद में फ्लैट्स बुक कराए थे कि उन्हें जल्दी पजेशन मिल जाएगा उनके हाथ सिर्फ निराशा लगी है. परेशान लोगों ने नगर निगम कार्यालय पर कई बार प्रदर्शन किया, हंगामा किया लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला. NDTV की जांच-पड़ताल में कई पीड़ित सामने आए.
भोपाल की रहने वाली रिंकी नंदा ने खुद का घर लेने का सपना देखा. उन्होंने बागमुगालिया में 2020 में नगर निगम के जरिये प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत घर की बुकिंग कराई थी. जब बुकिंग हुई थी तब उन्हें दो साल में घर देने का वादा किया गया था. लेकिन 4 साल बाद 2024 में भी उन्हें अपने सपनों का आशियाना नहीं मिला है. वे बताती हैं कि उन्होंने 7.50 लाख रुपये बैंक से लोन लेकर घर बुक कराया था. अब वे हर महीने 8 से 9 हजार रुपये बतौर किस्त दे रही हैं. इसके अलावा जिस घर में रह रही हैं वहां का किराया भी 5 हजार रुपये है. उनकी महीने की सैलरी महज 15 हजार है ऐसे में उनके लिए घर चलाना बेहद मुश्किल हो रहा है. ये सिर्फ रिंकी की नहीं बल्कि दो हजार 20 लोगों की कहानी है. इसमें कई ऐसे हैं जिन्होंने 25 से 30 लाख में भी घर बुक किया है.
ज्यादातर हितग्राहियों का कहना है कि प्रोजेक्ट में देरी की बड़ी वजह अधिकारियों की लापरवाही है. इस संबंध में NDTV ने महापौर से भी सवाल किया. उन्होंने कहा कि अधूरे प्रोजेक्ट्स को लेकर अभी हाल ही में मैंने मीटिंग ली है.अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से इसे पूरा करें. मेयर का कहना है कि वे समझ रही हैं कि लोगों को डबल पैसा खर्च हो रहा है. उन्होंने कहा कि मैं उनकी परेशानी को समझती हूं. इसी वजह से अधिकारियों से कहा गया है कि जिन लोगों ने पैसे जमा कर दिए हैं उनको मकान तुरंत सौंपा जाए.
ये भी पढ़ें: समाज को आईना ! चार बेटियों ने खुद उठाई पिता की अर्थी, संबंधियों ने कहा था- पुरुष चाहिए तो जमीन नाम करो