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समाज को आईना ! चार बेटियों ने खुद उठाई पिता की अर्थी, संबंधियों ने कहा था- पुरुष चाहिए तो जमीन नाम करो

Daughters Gave Shoulder Father Bier : छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले से जो तस्वीरें आई हैं, उसे देखकर पल भर के लिए आपकी आंखे भी नम हो सकती हैं. चलते कदम रुक सकते हैं. क्योंकि पिता की मौत के बाद यहां बेटियों ने समाज के बंधन रीति रिवाजों को तोड़ते हुए कंधा दिया है.

समाज को आईना ! चार बेटियों ने खुद उठाई पिता की अर्थी, संबंधियों ने कहा था- पुरुष चाहिए तो जमीन नाम करो
समाज को आईना ! चार बेटियों ने खुद उठाई पिता की अर्थी, संबंधियों ने कहा था- पुरुष चाहिए तो जमीन नाम करो.

CG News News in Hindi News :  बेटियों ने अपनी पिता की अर्थी को कंधा देकर समाज को आईना दिखाया है. मामला छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले के घिवरा गांव का है, जहां रिस्तेदारों ने अंतिम संस्कार और दो गज जमीन के बदले जायदाद में हिस्सा मांगने लगे. इस मार्मिक घड़ी में नाराज और मजबूर बेटियों ने समाज के सारे बंधनों को तोड़कर पिता के शव को कांधा देने कि ठानी, और अंतिम संस्कार किया.

बेटियों ने अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की

विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार की रस्म निभाती हुई बेटियां.

विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार की रस्म निभाती हुई बेटियां.

कुछ इसी तरह की अजीबो गरीब कहानी बिर्रा थाना क्षेत्र के घिवरा गांव में सामने आई, जिसमें चंद रुपयों की लालच में एक वृद्ध किसान का परिवार वालों ने साथ छोड़ दिया. ऐसे समय में उनकी चार बेटियों ने अपने वृद्ध पिता को कंधा दिया और अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की. मामला घिवरा गांव का है.

बेटियां इस बात पर राजी नहीं हुईं 

बता दें, सीताराम कश्यप (80) काफी दिनों से अस्वस्थ था. लंबी बीमारी की वजह से गुरुवार की सुबह उसका निधन हो गया. शव घर पर रखा रहा. परिवार के लोगों ने मामले की सूचना उनकी चार बेटियों को दी. दरअसल, सीताराम कश्यप का बेटा नहीं था. इसलिए उसकी देखभाल परिवार वालों ने इसी शर्त पर कर रहे थे कि सीतारात के निधन के बाद उसकी संपत्ति परिवार वालों को दी जाएगी. बेटियों ने परिवार वालों की बातों पर राजी हुए लेकिन फैसला तुरंत करो कहने लगे.

चाचा के अंतिम संस्कार के लिए भतीजे ने रखी ये डिमांड

गुरुवार की सुबह जब अंतिम संस्कार करने की बात आई तो परिवार वालों ने कहा कि सीताराम की संपत्ति को उनके नाम किया जाए. तब बेटियां परिवार वालों की शर्त मान लिए. लेकिन परिवार वालों का कहना था कि उनकी संपत्ति को अभी उनके नाम किया जाए.इस दौरान दोनों पक्षों में हाईवोल्टेज ड्रामा चलता रहा. आखिरकार सीताराम की बेटियां उनकी शर्त नहीं मानी और खुद ब खुद अंतिम संस्कार करने की मन में ठान ली.

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केवल बेटियां हुईं शामिल

किसी के अंतिम संस्कार में लोगों की भीड़ जुट जाती है, लेकिन सीताराम के अंतिम संस्कार में केवल चार बेटियां निर्मला कश्यप सहित उनकी तीन बहनें ही नजर आई. परिवार वालों के साथ-साथ गांव वालों ने भी उसके अंतिम संस्कार में जाने से मना कर दिया. ऐसे में चार बेटियां और उसके बच्चों ने अपने पिता को कंधा.

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