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Satna News: खतरे में भविष्य! कन्या प्राथमिक स्कूल की रसोइया पर गिरा जर्जर भवन का प्लास्टर, जानिए क्या हुआ?

Satna News; जिस कन्या शाला का छप्पर टूटा है उसी परिसर में मौजूद दूसरे कक्ष में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र के अंदर करीब 59 बच्चे बैठके थे. सभी बच्चे तीन वर्ष से 5 वर्ष उम्र के हैं. यदि यह हादसा इस कक्ष में होता तो घटना और भी गंभीर हो सकती थी. फिलहाल यहां अब जांच का विषय है कि क्या जिम्मेदार अधिकारियों ने समय रहते जर्जर भवनों का मेंटीनेंस नहीं कराया. वहीं यह भी जांच योग्य है कि मात्र 13 साल के अंदर कोई भवन जर्जर कैसे हो गया?

Satna News: खतरे में भविष्य! कन्या प्राथमिक स्कूल की रसोइया पर गिरा जर्जर भवन का प्लास्टर, जानिए क्या हुआ?
Satna News: कन्या प्राथमिक स्कूल की रसोइया पर गिरा जर्जर भवन का प्लास्टर

Satna News: बरसात का मौसम आते ही जर्जर भवनों में हादसों का दौर शुरू हो गया. गुरूवार की दोपहर जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर स्थित कन्या प्राथमिक शाला सिंहपुर के जर्जर भवन का प्लाटर टूट कर काम कर रही महिला रसोइया के ऊपर गिर गया. घटना में महिला की कमर में चोट लगी है. जिससे वह खड़ी भी नहीं हो पा रही है. घटना के बाद विद्यालय की प्रभारी हेडमास्टर रोशनी गर्ग, सरपंच रामशिरोमणि कोरी के द्वारा वरष्ठि अधिकारियों को सूचना दी गई है. वहीं जर्जर भवन का प्लाटर गिरने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. मनीमत थी कि यह हादसा उन कमरों में नहीं हुआ जहां पर बैठकर स्कूली छात्राएं और आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चे पढ़ाई करते हैं.

ऐसे हुआ हादसा

जानकारी के अनुसार सिंहपुर संकुल केन्द्र के अंतर्गत आने वाले कन्या प्राथमिक विद्यालय सिंहपुर की स्थापना साल 2012 में हुई थी. इसी भवन में प्राथमिक विद्यालय और दूसरे कक्ष में आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित होता है. स्कूल में दो शिक्षिकाएं और कुल 25 छात्राएं हैं. इनके भोजन बनाने का जिम्मा देवकी महिला स्व सहायता समूह को मिला है. जिसकी रसोइया सावित्री सोनी और किरण कोरी हैं. सुबह करीब साढ़े 11 बजे दोनों खाना बनाने के लिए स्कूल पहुंचीं. जब सावित्री सोनी कढ़ी बना रही थी तभी छत का प्लास्टर भरभरा कर ऊपर गिर गया जिससे सावित्री वहीं पर गिर कर अचेत हो गए. स्कूल की शिक्षकों और सरपंच तथा उप सरपंच के महिला को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया.

दूसरे कक्षा में बैठे थे 59 बच्चे

जिस कन्या शाला का छप्पर टूटा है उसी परिसर में मौजूद दूसरे कक्ष में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र के अंदर करीब 59 बच्चे बैठके थे. सभी बच्चे तीन वर्ष से 5 वर्ष उम्र के हैं. यदि यह हादसा इस कक्ष में होता तो घटना और भी गंभीर हो सकती थी. फिलहाल यहां अब जांच का विषय है कि क्या जिम्मेदार अधिकारियों ने समय रहते जर्जर भवनों का मेंटीनेंस नहीं कराया. वहीं यह भी जांच योग्य है कि मात्र 13 साल के अंदर कोई भवन जर्जर कैसे हो गया?

मामले की जांच कराएंगे

इस मामले में जब जिला परियोजना समन्वयक विष्णु त्रिपाठी से फोन पर चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि घटना के संबंध में जानकारी ली जाएगी. इसके अलावा इसकी जांच भी कराएंगे कि आखिर इतने कम समय में भवन जर्जर कैसे हो गया? यदि भवन जर्जर है तो छात्राओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें दूसरी जगह पर स्थान दिया जाएगा.

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