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IAS Santosh Verma Row: संसद में हुई शिकायत; भोपाल सांसद ने केंद्रीय मंत्री से सख्त एक्शन पर चर्चा की

IAS Santosh Verma Controversy: बीते दिनों वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा अजाक्स संगठन के प्रदेश अध्यक्ष चुने गए. इस दौरान आयोजित प्रदेशस्तरीय सम्मेलन में नवनिर्वाचित अध्यक्ष वर्मा ने आरक्षण को लेकर एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने ब्राह्मण समाज की बेटियों का जिक्र कर दिया. संतोष वर्मा के इस बयान से सिर्फ ब्राह्मण समाज ही नहीं, अन्य सवर्ण समाज से जुड़े लोग भी गुस्से में हैं.

IAS Santosh Verma Row: संसद में हुई शिकायत; भोपाल सांसद ने केंद्रीय मंत्री से सख्त एक्शन पर चर्चा की
IAS Santosh Verma Row: संसद में हुई शिकायत; भोपाल सांसद ने केंद्रीय मंत्री से सख्त एक्शन पर चर्चा की

IAS Santosh Verma: मध्य प्रदेश के अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संतोष वर्मा के ब्राह्मण समाज की बेटियों को लेकर दिए बयान के खिलाफ लोगों में नाराजगी है. अब इसकी शिकायत दिल्ली में भी हुई है. भोपाल लोकसभा के सदस्य आलोक शर्मा ने आज संसद भवन में केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से मुलाकात करते हुए ठोस एक्शन लेने की अपील की है. वहीं मध्य प्रदेश सरकार ने आरक्षण पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा पर सख्त कार्रवाई की है. सरकार ने उन्हें 'कारण बताओ नोटिस' जारी किया और बुधवार देर रात तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया.

सांसद ने क्या कहा?

सांसद आलोक शर्मा ने कहा कि "आज संसद भवन में केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से भेंट कर भोपाल में विगत दिनों आईएएस संतोष वर्मा द्वारा ब्राह्मण समाज की बेटियों के बारे में दिए गए बयान पर संज्ञान लेने और दोषी पाए जाने पर श्री संतोष वर्मा के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की शिकायत की."

क्या है मामला?

घटना की शुरुआत 22 नवंबर को हुई, जब भोपाल में एक साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान संतोष वर्मा ने आरक्षण व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा था कि आरक्षण ने अपना मूल उद्देश्य पूरा कर लिया है और अब इसे एक स्थायी राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. उनका एक और बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें कहा गया था, "आरक्षण का लाभ एक परिवार के सिर्फ एक सदस्य तक सीमित होना चाहिए, जब तक कि कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को न दे दे या उससे रिश्ता न जोड़ ले."

वर्मा के इस बयान पर एससी, एसटी और ओबीसी संगठनों के साथ-साथ ब्राह्मण समाज ने भी कड़ी आपत्ति जताई. सभी संगठनों ने बयान को 'संविधान का अपमान' और 'सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाला' बताया.

विभिन्न सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता भोपाल के वल्लभ भवन राज्य सचिवालय के बाहर इकट्ठा हुए, जहां उन्होंने संतोष वर्मा के पुतले जलाए और उनके खिलाफ एसएसी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की. कार्यकर्ताओं के हाथों में पोस्टर थे, जिनमें 'अफसर संविधान नहीं बदल सकते' और 'बाबासाहेब की विरासत की रक्षा करो' लिखा हुआ था.

विवाद बढ़ने पर सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संतोष वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. नोटिस में कहा गया कि उनका बयान सामाजिक सौहार्द के लिए 'हानिकारक' है और यह अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 तथा अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 का उल्लंघन है.

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