Bhopal gas Tragedy: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से गैस राहत अस्पतालों में डॉक्टरों और विशेषज्ञों की प्रतिनियुक्ति में देरी पर स्पष्टीकरण मांगा है. स्वास्थ्य विभाग से 15 डॉक्टरों और 5 विशेषज्ञों को गैस राहत अस्पतालों में प्रतिनियुक्त करने के आदेश 27 जून को जारी किए गए थे. स्वास्थ्य विभाग आदेश के एक महीना बीत जाने के बावजूद, डॉक्टर अभी तक अपने वर्तमान पदों पर ही कार्यरत हैं, उन्हें रिलीव नहीं किया जा रहा है.
इसलिए वह कोर्ट की शरण में गए..
मामले की सुनवाई 30 जुलाई 2023 को हुई, जिसमें भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एंड एक्शन के याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने किया. वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने एनडीटीवी को बताया की गैस राहत अस्पताल में सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध है. लेकिन वहां डॉक्टर और विशेषज्ञ ना होने से 5 लाख पीड़ित कार्डधारी परेशान हो रहे हैं इसलिए वह कोर्ट की शरण में गए हैं.
इसके विवरण की हुई मांग
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और विनय सराफ ने राज्य सरकार से 7 अगस्त 2023 को अगली सुनवाई तक इस देरी के कारणों को स्पष्ट करने को कहा है. युगल पीठ ने भोपाल मेमोरियल अस्पताल के 1000 करोड़ रुपये के कार्पस फंड की स्थिति और उसमें कितनी राशि बची है, इसके विवरण की भी मांग की है.
रिक्त पदों को भरने के लिए कहा..
उच्च न्यायालय गैस राहत अस्पतालों और भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) में डॉक्टरों की रिक्तियों को भरने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को आदेशित कर रहा है, ताकि गैस पीड़ितों की उचित स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित की जा सके.
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सरकार ने भी जवाब पेश किया
कॉपी सभी पक्षकारों को उपलब्ध कराने के निर्देश भोपाल गैस त्रासदी मामले में दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा के परिपालन, बीएचएमआरसी हॉस्पिटल में नियुक्तियों सहित अन्य संबंधित मुद्दों पर हाईकोर्ट में जवाब पेश किया गया. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने जवाब की कॉपी सभी पक्षकारों को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.
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