
Electricity Bill Payment: मध्य प्रदेश विद्युत मंडल की पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (Madhya Pradesh Poorv Kshetra Vidyut Vitaran Company Ltd) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. कंपनी के अधीन आने वाले 21 जिलों में लगभग 17 लाख ग्रामीण और 21 हजार शहरी उपभोक्ताओं को महीनों से बिना मीटर रीडिंग के “एवरेज बिल” भेजे जा रहे हैं. सबसे हैरानी की बात यह है कि विभाग के अधिकारियों को अब तक यह अंदाज़ा तक नहीं है कि इस मनमानी बिलिंग से सरकार को कितने करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हो चुका है.
NDTV की पड़ताल में खुलासा
एनडीटीवी द्वारा की गई जांच में पाया गया कि लगभग 17.57 लाख उपभोक्ता लगातार एवरेज बिलिंग का शिकार हो रहे हैं. इनमें से कई उपभोक्ता ऐसे हैं जिन्हें वर्षों से केवल औसत बिल ही थमाए जा रहे हैं. जब मीटर खराब हो जाता है, तो उसकी जगह नया मीटर लगाने में महीनों का समय लग जाता है. इस दौरान उपभोक्ताओं को तीन महीने की पुरानी खपत के आधार पर बिल थमा दिए जाते हैं.
पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जबलपुर, सागर, शहडोल और रीवा संभाग में— 54 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं, जिनमें से 17 लाख से ज्यादा को एवरेज बिल जारी होता है. 29,000 ग्रामीण व 9,000 शहरी व्यावसायिक उपभोक्ता भी बिना रीडिंग के बिलों का लाभ उठा रहे हैं. 52 हजार औद्योगिक उपभोक्ताओं में से 3,500 उपभोक्ता लगातार औसत बिल पर बिजली इस्तेमाल कर रहे हैं.
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विभाग को नहीं है नुकसान का अनुमान
पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी हर महीने औसतन 800 करोड़ रुपये की वसूली करती है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि अधिकारियों के पास अब तक इसका कोई आंकड़ा नहीं है कि एवरेज बिलिंग से विभाग को कितना घाटा हो रहा है.
उपभोक्ताओं की अलग-अलग प्रतिक्रिया
कुछ उपभोक्ता परेशान हैं क्योंकि वास्तविक खपत से ज्यादा बिल उन्हें चुकाना पड़ता है. वहीं, अधिकांश उपभोक्ता खुश हैं. वजह यह है कि अगर मीटर ठंड के दिनों में खराब हुआ था, तो औसतन बहुत कम यूनिट का बिल बनाया जाता है. बाद में गर्मी और बरसात में भी वही कम बिल भेजा जाता है, जबकि असल खपत कहीं ज्यादा होती है. नतीजतन, उपभोक्ता तो सस्ते में बिजली पा रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार को भारी राजस्व हानि हो रही है. इसके अलावा, 3 लाख किसानों को 5 हॉर्स पावर तक मुफ्त बिजली पंप की सुविधा मिल रही है. औसत बिलिंग की गड़बड़ी यहां भी भारी नुकसान का कारण बन रही है.
सवाल यह है कि स्मार्ट मीटर और नई बिलिंग प्रणाली के दावे कब तक केवल कागज़ों पर रहेंगे और कब सरकार इस “एवरेज बिलिंग” की खामियों को दूर कर वास्तविक वसूली सुनिश्चित कर पाएगी.
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