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MP को वेलनेस व मेडिकल हब बनाने के लिए "हृदयम एमपी" का शुभारंभ, पर्यटन स्थल में मिलेगी ये सुविधाएं

MP Tourism: हृदयम एमपी के शुभारंभ कार्यक्रम में बताया गया कि मध्यप्रदेश की 100% क्षमता और सुंदर जैव विविधता का उपयोग करके हम हर्बल दवाएं प्राप्त कर सकते हैं और वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा दे सकते हैं, बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए एक वेलनेस टूरिज्म पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर सकते हैं.

MP को वेलनेस व मेडिकल हब बनाने के लिए "हृदयम एमपी" का शुभारंभ, पर्यटन स्थल में मिलेगी ये सुविधाएं

मध्य प्रदेश में "हृदयम एमपी" पहल का शुभारंभ किया गया है. इसके बारे में पर्यटन और संस्कृति के प्रमुख सचिव व टूरिज्म बोर्ड के प्रबंध संचालक शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि "हृदयम एमपी" पहल प्रदेश में वेलनेस टूरिज्म के इको सिस्टम को विकसित करने का प्रयास करेगी. यह एक इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म के रूप में डेवलप होगा, जिस पर पर्यटन, वेलनेस और मेडिकल वैल्यू टूरिज्म के सभी स्टेक होल्डर्स समन्वित रूप से कार्य करेंगे. टूरिज्म विभाग की तरफ से प्राप्त जानकारी के अनुसार मेडिकल और वेलनेस चिकित्सा पद्धति के सभी संसाधनों को एकीकृत करते हुए प्रदेश में पर्यटन उत्पाद के रूप में विकसित करने के लिए "हृदयम एमपी" पहल कार्य करेगी. इस दौरान "हृदयम एमपी" का लोगो भी लॉन्च किया गया.

वेलनेस और मेडिकल टूरिज्म के लिए मध्यप्रदेश परफेक्ट

आयुष विभाग की आयुक्त सलोनी सिडाना ने कहा कि 2017 की नेशनल हेल्थ पॉलिसी में कैफेटेरिया एप्रोच का जिक्र किया गया है. जिसके अंतर्गत प्रदेश में चिकित्सा में इंटीग्रेटेड एप्रोच को विकसित किया गया. प्रदेश में आयुष के तहत यूनानी, आयुर्वेद और होम्योपैथी सहित सभी पद्धति की चिकित्सा प्रदान की जा रही है. वेलनेस और मेडिकल टूरिज्म के लिए मध्यप्रदेश उपयुक्त हैं.

हृदयम एमपी में क्या कुछ होगा?

"हृदयम एमपी" पहल के तहत, राज्य के विभिन्न पर्यटन स्थलों में योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा एवं ध्यान केंद्र स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा. नीति निर्धारण कर शासन स्तर पर प्रोत्साहन देना, लैंड बैंक तैयार करने जैसी सुविधाएं दी जाएंगी. प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों जैसे जंगलों, पहाड़ों और जल स्रोतों का लाभ उठाकर ऐसी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा जो पर्यटकों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित बनाए रखे.

फिक्की के आयुष कमेटी के चेयरमैन अरविंद वर्चस्वी ने कहा कि कोविड के बाद आयुर्वेद और वेलनेस के प्रति रुझान बढ़ा है. यह सभी चिकित्सा देश में पुरातन काल से उपलब्ध है. इसके साथ ही इन चिकित्सा पद्धति का उचित मूल्य भी विदेश के लोगों को आकर्षित करता है.

कैरियर ग्रुप के चेयरमैन ने कहा कि यूरोप, यूके और अमेरिका सहित अन्य देशों से भारत में मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए बड़ी संख्या में लोग आ रहें हैं. उसका एक प्रमुख कारण सस्ता इलाज हैं. डेंटल इंप्लांट, ब्लड कैंसर का ट्रीटमेंट, ट्रॉमा, पोस्ट रेडियो थेरेपी जैसे ट्रीटमेंट कम दाम में प्रदेश में उपलब्ध है. साथ ही प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी अच्छी हो गई है. इस कारण प्रदेश मेडिकल टूरिज्म के लिए उपयुक्त है.

फिक्की के वेलनेस टूरिज्म कमेटी के चेयरमैन संजीव कुरूप ने कहा कि पर्यटकों के बीच मेडिकल वैल्यू टूरिज्म अधिक लोकप्रिय हो रहा हैं. मेडिकल ट्रीटमेंट के साथ पर्यटन और पर्यटन के साथ वेलनेस और आयुर्वेद चिकित्सा का लाभ लिया जा रहा है. प्रदेश में मेडिकल वैल्यू टूरिज्म की दिशा में किया जा रहा प्रयास प्रशंसनीय हैं.

चिरायु ग्रुप के संस्थापक अजय गोयनका ने कहा कि प्रदेश में मेडिकल टूरिज्म की संभावना असीमित है. यहां सभी प्रकार की चिकित्सा उचित दाम पर उपलब्ध है. अमेरिका में दंत चिकित्सा के लिए 3 से 6 महीने की वेटिंग रहती है. लेकिन प्रदेश में इस तरह की कोई वेटिंग नहीं और चिकित्सा का व्यय भी अमेरिका के मुकाबले बहुत कम है. इसी तरह की स्थिति हेयर ट्रांसप्लांट, फेशियल ट्रीटमेंट, हार्ट सर्जरी आदि में है.

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