Jabalpur High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने राज्य सरकार से एक मामले में स्पष्ट जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती-2023 की प्रक्रिया में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उम्मीदवारों को योग्यता में छूट क्यों नहीं दी गई. मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने स्कूल शिक्षा विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, जनजाति कार्य विभाग और कर्मचारी चयन मंडल के प्रमुख सचिवों से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है. अदालत ने इस भर्ती प्रक्रिया को याचिका के अंतिम निर्णय तक के लिए स्थगित कर दिया है.
याचिकाकर्ता ने ऐसे रखी अपनी दलील
हरदा जिले की रहने वाली शिवानी शाह द्वारा दाखिल याचिका में उनके वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने अदालत में तर्क रखा कि याचिकाकर्ता अनुसूचित जनजाति की सदस्य हैं. उन्होंने बताया कि 30 जुलाई 2018 और 8 अगस्त 2018 को स्कूल शिक्षा विभाग और जनजातीय विभाग द्वारा जारी नियमों में ओबीसी, एससी और एसटी के लिए कोई योग्यता छूट प्रदान नहीं की गई है. याचिका में यह दलील दी गई कि संविधान के अनुच्छेद 335 के अनुसार, इन वर्गों को छूट देना राज्य का कर्तव्य है. अदालत को यह भी सूचित किया गया कि शिक्षक पद के लिए निर्धारित योग्यता में स्नातकोत्तर द्वितीय श्रेणी और बीएड की आवश्यकता है, लेकिन नियमों में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि द्वितीय श्रेणी के लिए न्यूनतम प्रतिशत क्या होना चाहिए.
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कोर्ट ने मांगा जवाब
उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती-2023 की प्रक्रिया में Reservation को अहमियत न देने के मामले में जबलपुर पीठ ने कहा कि सरकार और इससे संबंधित सभी विभाग जवाब दें कि ऐसी गड़बड़ी क्यों हुई. साथ ही, कोर्ट ने फिलहाल इस मामले में अंतिम फैसला सुनाए जाने तक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.
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