
MP Police Scandals: सूनसान सड़क पर डर लग रहा हो और पुलिस दिख जाए तो हम राहत की सांस लेते हैं. लेकिन हर बार ऐसा हो यह जरूरी नहीं, कभी-कभी ये पुलिस आपकी सांसे छीन लेती है. किसी के साथ लूट होने पर आप पुलिस को फोन लगाते हैं, लेकिन ये पुलिस की अगर 'लुटेरी-डकैत' बन जाए तो फिर आप क्या करेंगे? सड़क पर सब सुरक्षित रहे इसकी जिम्मेदारी ट्रैफिक पुलिस की है, लेकिन यही पुलिस लोगों की मौत और परेशानी का कारण बन जाए तो फिर आप किससे क्या गुहार लगाएंगे.
ये सवाल यूहीं खड़े नहीं हो रहे हैं. करीब 33 दिन में मध्य प्रदेश पुलिस के छह ऐसे बड़े कांड सामने आए हैं जिसने सबको हैरान कर दिया है. यह हैरानी-परेशानी तब और बढ़ जाती है जब अपने ही विभाग के DSP के साले (छात्र) को पीट-पीटकर मार दिया गया हो. एक लेडी सीएसपी हवाला के करीब तीन करोड़ रुपये डकारने के प्रयास में जेल चली जाए. पुलिस घपला करने लगे और फरियादी के रुपयों से जुआं खेलने लगे. बीते कुछ दिनों में यह सब किया है एमपी पुलिस ने. आइए, अब विस्तार से जानते हैं मध्य प्रदेश पुलिस की इन करतूत के बारे में...

सबसे पहले पढ़िए कातिल पुलिस की कहानी
राजधानी भोपाल में 10 अक्टूबर की रात जो हुआ वो किसी ने सोचा नहीं था. अगले दिन इंजीनियरिंग के छात्र उदित गायकी की मौत की खबर आई और सामने थे सीसीटीवी फुटेज, जिनमें पुलिस का खौफनाक चहेरा दिखाई दे रहा था. दो पुलिसकर्मी छात्र को बुरी तरह पीट रहे थे, पिटने वाला कोई और नहीं बालाघाट में पदस्थ डीएसपी केतन अडलक का साला था. उसे इतनी बर्बरता से पीटा गया कि उसकी जान ही चली गई. पीएम रिपोर्ट्स के अनुसार, उदित को 26 गंभीर चोटें आईं थीं. हैवान बनी पुलिस की पिटाई के वीडियो ने इस मामले को देश में चर्चा में ला दिया. मामला बढ़ने के बाद दो पुलिसकर्मियों संतोष बामनिया और सौरभ आर्य के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया. दोनों आरोपी जेल में हैं, लेकिन दीपावली से पहले जवान बेटे को खोने वाला गायकी परिवार अब शायद ही कभी पुलिस पर भरोसा कर पाए.
अब पढ़िए कैसे पुलिस ही बन गई 'डकैत'
8 अक्टूबर की रात प्रदेश के सिवनी जिले की पुलिस ने डकैत का किरदार निभाया. हुआ ये कि एसडीओपी पूजा पांडेय को मुखबिर से सूचना मिली की महाराष्ट्र से हवाला के करीब तीन करोड़ रुपये एक क्रेटा कार में आ रहे हैं. एसडीओपी पूजा पांडे और बंडोल थाने के टीआई अर्पित भैरम ने एक टीम बनाई फिर कार को रोक लिया गया. रुपये लेकर कार को जाने दिया गया, लेकिन सुबह होते ही मामला बिगड़ने लगा. कार मालिक और उसके साथी केस दर्ज कराने के लिए थाने पहुंच गए, फिर सौदेबाजी शुरू हुई. इस दौरान न तेरा न मेरा 50-50 की डील फाइनल हुई यानी आधे रुपये व्यापारी को दिए जाएंगे और आधे अफसर लेंगे. लेकिन, सौदेबाजी के बाद भी खाकी का इनाम डोल गया. व्यापारी को जो रुपये दिए गए उसमें करीब 25 लाख रुपये कम थे. यहीं से बात बिगड़ गई और मामला मीडिया में आते ही सुर्खियों में छा गया. जांच के बाद इस पूरे कांड में सीएसपी पूजा पांडे, एसएचओ अर्पित भैरम समेत कुल 11 पुलिसकर्मी दोषी गए, जिन्हें निलंबित कर दिया गया. इस मामले में अब तक सात गिरफ्तारी हो चुकी हैं, जबकि फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है.

पुलिसकर्मी जुआरी और फिर चोर, किया लाखों का खेल
ये हैरान करने वाला मामला सामने आया प्रदेश के बालाघाट जिले से, जहां प्रधान आरक्षक राजीव पंद्रे ने जुआरी और फिर चोर का किरदार निभाया. राजीव कोतवाली थाने का इंजार्च था और उसे जुआ खेलने की लत थी. ऐसे में उसने थाने के मालखाने में रखे 55 लाख रुपये और 10 लाख के सोने-चांदी के गहनों पर हाथ साफ कर दिया. यहां तक किसी को कोई भनक नहीं थी, लेकिन जब फरियादी अपने पैसे और गहने लेने थाने पहुंचा तो यह भेद खुल गया. पुलिस ने आरोपी मालखाना इंचार्ज पर केस दर्ज किया, पूछताछ के बाद उससे 40 लाख रुपये और एक सुनार की दुकान से गहने बरामद किए. अब इस मामले की महिला सेल की डीएसपी प्रतिष्ठा राठौर कर रही हैं.
पुलिस मुख्यालय में घपलेबाज पुलिसकर्मियों का कांड
इस कांड में मध्य प्रदेश पुलिस का भोपाल स्थित हेडक्वार्टर सुर्खियों में आया. पुलिस मुख्यालय की मेडिकल शाखा में पदस्थ तीन पुलिसकर्मियों ने पुलिस ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (PTRI) के 25 पुलिसकर्मियों के फर्जी मेडिकल बिल पास कराकर 15 लाख रुपये का घपला कर दिया. इस कांड के आरोपी एएसआई हर्ष वानखेडे, हेड कांस्टेबल राजपाल ठाकुर और सूबेदार नीरज कुमार हैं, तीनों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. फिलहाल, तीनों फरार बताए जा रहे हैं.
मंदसौर पुलिस की 55 लाख की 'नशीली' डील
प्रदेश में बिक रहा नशा लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है, इसकी तस्करी करने वाले अपराधियों को पकड़ने का काम पुलिस का है. लेकिन, जब ये पुलिस तस्करों के साथ डील करने लग जाए तो क्या किया जाए. ये सवाल इसलिए उठ रहा क्योंकि मंदसौर पुलिस ने ऐसा कुछ किया है. हुआ ये था कि दो महीने पहले पुलिस ने चार जगहों से डोडाचूरा जब्त किया गया था. मामले की जांच के आदेश दिए गए, जिसके बाद तस्करों से 50 लाख रुपये की डील की गई. बताया जा रहा है कि सौदा उन्हें छोड़ने के लिए किया गया था. ऐसा करने वाले शामगढ़ थाना प्रभारी (TI) धर्मेंद्र शिवहरे सब इंस्पेक्टर अविनाश सोनी, हेड कांस्टेबल दिलीप बघेल और कांस्टेबल मनीष पंवार को निलंबित कर दिया गया है. पूरे मामले की जांच चल रही है.

लापरवाह पुलिस, चार मौत, 18 घायल, संस्कृति अब भी दर्द में
दिन था 15 सितंबर और शाम के करीब 7:30 बज रहे थे, एक ट्रक मौत बनकर इंदौर की सड़क पर दौड़ा. शराब के नशे में ट्रक चला रहे चालक गुलशेर ने रामचंद्र नगर चौराहे से बड़ा गणपति तक राहगीरों कुचल दिया. हादसे में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 18 घायल हो गए. हादसे में बुरी तरह से घायल 17 साल की संस्कृति वर्मा बुरी तरह घायल हो गई. गंभीर हालत में 20 सितंबर को उसे इलाज के लिए मुंबई भेजा गया. चार बड़ी सर्चरी के बाद संस्कृति 17 अक्टूबर को वापस आई, लेकिन वह अभी भी दर्द से कराह रही है. मामले की प्रारंभिक जांच में ट्रैफिक सूबेदार, एसीपी समेत छह अधिकारी और कर्मचारी दोषी पाए गए, क्योंकि इन्होंने नो एंट्री में ट्रक को जाने दिया. अगर, ये ट्रक को समय रहने रोक लेते तो यह दर्दनाक हादसा नहीं होता और आज इन परिवारों की दीपावली भी रोशन होती.
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