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MP News : 2 साल पहले फूटे 'कारम' की सजा आज भी भुगत रहे लोग, जानें क्या है मामला

....बेकाबू हालत देखकर शिवराज सरकार के माथे पर भी चिंता की लकीरें खिंच गईं. तमाम कोशिशों के बावजूद भी कारम फूटा और कई लोगों के घर व उनकी फसलें तहस-नहस हो गई. 

MP News : 2 साल पहले फूटे 'कारम' की सजा आज भी भुगत रहे लोग, जानें क्या है मामला
फाइल फोटो

MP News in Hindi : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार (Dhar) जिले में अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही का मामला सामने आया है.... जिसमें 305 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहा कारम बांध भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. धार जिले की धरमपुरी तहसील में बनाए जा रहे कारम बांध में अधिकारियों और ठेकेदार की लापरवाही उस समय सामने आई जब 11 अगस्त 2022 की दोपहर को निर्माणाधीन बांध से रिसाव होने लगा. इस बात से विभाग और ठेकेदार अनजान थे, लेकिन इलाके के जागरूक नागरिक ने बांध के रिसाव की वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल की. यही वायरल वीडियो धार कलेक्टर डॉ. पंकज जैन तक पहुंची.

कैसे फूटा था कारम बाँध ?

तत्कालीन कलेक्टर डॉ. जैन कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार अधिकारी थे. उन्होंने बांध के रिसाव को गंभीरता से लेते हुए कुछ ही घंटों में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बांध स्थल पर पहुंचकर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को बांध के रिसाव को रोकने के निर्देश दिए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. बांध का रिसाव तेजी से बढ़ता जा रहा था. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने बांध के फूटने की आशंका को देखते हुए तत्काल निचले इलाकों के 18 गांवों को खाली करवा कर गांव के लोगों को ऊंचे पहाड़ पर भेजने के लिए प्रशासन के अधिकारियों को लगाया.

सरकार ने की खूब कोशिश

कारम बांध की भयानक होती स्थिति को देख प्रदेश की शिवराज सरकार के माथे पर भी चिंता की लकीरें खिंच गईं. तमाम कोशिशों के बावजूद भी बांध को बचाया नहीं जा सका और 14 अगस्त 2022 की शाम को आखिरकार कारम बांध को फोड़कर पानी निकाला गया. इस दौरान बांध के तेज बहाव में निचले इलाकों में रहने वाले आदिवासी परिवारों की खड़ी फसल, मकान, झोपड़ियाँ आदि बह गए. आदिवासी इलाके के विकास के नाम पर करोड़ों रुपए की लागत से बनाया जा रहा कारम बांध आखिरकार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया.

कई अधिकारी हुए सस्पेंड

तब प्रदेश सरकार ने इसके दोषी जल संसाधन विभाग के नीचे से ऊपर तक के अधिकारियों को निलंबित कर जनता के बीच मामले को शांत कराया. साथ ही बांध बनाने वाले ठेकेदार को भी ब्लैकलिस्ट किया गया. लेकिन जनता के साथ इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है कि प्रदेश सरकार ने घटना के तीन महीने बाद विभाग के तत्कालीन प्रभारी मुख्य अभियंता नर्मदा ताप्ती कछार सी. एस. घटोले सहित 8 अधिकारियों को निलंबित किया, लेकिन कुछ समय बाद सभी को वापस बहाल कर दिया गया.

लोगों के सिर से उठी छत

2 साल बीत जाने के बाद भी 305 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले कारम बांध की किसी ने कोई सुध नहीं ली. आज भी इस बांध से प्रभावित 18 गांवों के गरीब आदिवासी परिवार खुले आसमान के नीचे जंगली जानवरों के बीच बड़ी कठिनाइयों में अपना जीवन यापन कर रहे हैं. जिनकी सुध लेने आज तक कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा. कारम बांध से धरमपुरी तहसील के 42 गांवों के किसानों की जमीन की सिंचाई होनी थी.

जहां फूटा था कराम

जहां फूटा था कराम बांध 

आपाधापी में पूरा हुआ काम

कारम बांध का ठेका दिल्ली की ए. एन. एस. कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था, लेकिन कंपनी ने यह ठेका ग्वालियर की सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी को पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर दे दिया था.  इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जल संसाधन विभाग ने इतने बड़े बांध में कितनी बड़ी लापरवाही की है. बांध निर्माण के दौरान कोई तकनीकी अधिकारी मौजूद नहीं रहता था और जल्दबाजी में ठेकेदार की तरफ से इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा था.

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कंपनी ने भी की लेतलाली

ऐसा इसलिए क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से 2018 में इस बांध का निर्माण कार्य शुरू कर 2021 तक पूरा किया जाना था. लेकिन एक साल का समय फिर से बढ़ा दिया गया जिसके बाद ये साल 2022 में पूरा होना था, लेकिन इसी जद्दोजहद में बांध के निर्माण की गुणवत्ता को अनदेखा किया गया और आपाधापी में 75% कार्य पूरा कर लिया गया था.

बारिश में हालत और खराब

क्षेत्र में हो रही बारिश की वजह से बांध में पानी का स्तर भी बढ़ रहा था. बांध के ढह जाने के 2 साल बाद भी उसका दंश आज भी बांध के पास निचले इलाकों में रहने वाले गरीब आदिवासी भोग रहे हैं. बांध के फूटने के बाद बाढ़ प्रभावित आदिवासी किसान परिवार 2 साल बाद भी अपनी खेती-बाड़ी गंवाकर मजदूरी करने को मजबूर हैं. कारम बांध प्रभावित परिवारों की मानें तो बांध के टूटने से उनका सबकुछ खत्म हो गया.

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लोगों की फसलें-घर हुई बर्बाद

खड़ी फसल के साथ-साथ उपजाऊ जमीन की मिट्टी बह गई और रेती-पत्थरों से जमीन खत्म हो गई. सारे अधिकारी यहाँ आकर आश्वासन तो दे गए थे, मगर आज तक पलट कर नहीं आए. प्रभावित ग्रामीण इतने आक्रोशित हैं कि उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी समस्या का हल नहीं निकला तो बांध का काम फिर शुरू नहीं करने देंगे.

क्या बोले  पूर्व विधायक ?

इलाके के पूर्व विधायक पांची लाल मेढ़ा ने आरोप लगाया कि कारम बांध निर्माण में मंत्री, संतरी, भाजपाई सभी ने करोड़ों रुपए की बंदरबांट कर ली, जिसका खामियाजा हमारे आदिवासी भाई-बहन अपना सब कुछ खोकर भुगत रहे हैं. डूब प्रभावित परिवार के बच्चे 2 साल बाद भी जान जोखिम में डालकर 5 से 7 किलोमीटर दूर शिक्षा हासिल करने को मजबूर हैं.

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