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MP High Court: प्रमोशन में आरक्षण के मामले पर हाईकोर्ट ने लगाई अस्थायी रोक, सरकार से मांगा जवाब, जानें - पूरा मामला

Reservation in Promotion: नये नियम के तहत आरक्षित वर्ग को प्रमोशन नहीं दिया जायेगा. एमपी हाईकोर्ट ने इस मामले में अस्थायी रोक लगाई है. कोर्ट ने मामले के संबंध में सरकार से जवाब मांगा है. आइए आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

MP High Court: प्रमोशन में आरक्षण के मामले पर हाईकोर्ट ने लगाई अस्थायी रोक, सरकार से मांगा जवाब, जानें - पूरा मामला
जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

MP High Court Stay: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) की पदोन्नति (Promotion) में आरक्षण को लेकर फिलहाल रोक लगा दी है. सोमवार को प्रमोशन संबंधी नए नियम (2025) पर हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार (State Government) से पूछा है कि पुराने नियम (2002) और वर्तमान में बनाए गए नए नियमों में क्या अंतर है. सरकार अदालत को इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं दे सकी. इस पर कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने कहा कि जब तक सरकार नियमों के अंतर को स्पष्ट नहीं करती है, तब तक नए नियम लागू नहीं किए जा सकते हैं. अब इस मामले में अगली सुनवाई 15 जुलाई (मंगलवार) को होगी, जिसमें सरकार नियमों के भेद को अदालत के समक्ष स्पष्ट करेगी.

क्या है प्रमोशन संबंधी नया नियम?

नए नियम के तहत आरक्षित वर्ग को नौकरी में प्रमोशन दिए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि नये नियम भी पूर्व के अनुसार है. नियमों में सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया है. हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ को सरकार की ओर से बताया गया कि फिलहाल नये नियम के अनुसार पदोन्नति प्रदान करने के आदेश नहीं जारी किये जायेंगे. युगलपीठ ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर याचिका पर अगली सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की गयी है.

याचिकाकर्ता भोपाल निवासी वेटनरी डॉक्टर स्वाति तिवारी व अन्य सहित दायर तीन याचिकाओं में कहा गया था कि प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लंबित है. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में यथास्थिति के आदेश जारी किए थे, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने संशोधित नियम-2025 के तहत प्रमोशन के आरक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया था. इस संबंध में प्रदेश सरकार के ओर से गजट नोटिफिकेशन भी दायर किया गया था. याचिका में कहा गया था कि नये तथा पुराने नियम एक सामान्य है. याचिका में कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने एम नटराजन तथा जरनैल सिंह मामले में आदेश जारी किये थे कि आरक्षित वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण तब किया जाये, जब उनके वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं हो. इसके अलावा, उनके प्रशासन से किसी प्रकार की प्रशासनिक बाधा उत्पन्न नहीं होना चाहिये.

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क्रीमी लेयर वाले कर्मचारियों को नहीं दिया जाए आरक्षण

इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय ने एक अन्य मामले में आदेश दिये है कि एससी-एसटी वर्ग के क्रीमी लेयर वाले कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण नहीं दिया जाए. सरकार के पास आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व का डाटा उपलब्ध नहीं है. पूराने नियम के अनुसार ही नये नियम की आड़ में प्रमोशन में आरक्षण प्रदान किया जा रहा है. याचिका की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता की ओर से अंडरटेकिंग दी गयी कि आरक्षण प्रदान करते हुए कर्मचारियों को प्रमोशन दिये जाने के आदेश प्रदेश सरकार जारी नहीं करेंगी.

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