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छतरपुर में सैकड़ों मकान, स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर, नोटिस के बाद एक्शन में सुस्ती क्यों ?

Chhatarpur News: करीब 150 से अधिक मकान, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर हैं, इन सभी भवनों की लिस्ट जिला प्रशासन को भी भेजी जा चुकी है. लेकिन पता नहीं क्यों एक्शन में सुस्ती बरती जा रही है. यदि कोई घटना घटती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?

छतरपुर में सैकड़ों मकान, स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर, नोटिस के बाद एक्शन में सुस्ती क्यों ?
छतरपुर में सैकड़ों मकान, स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र जर्जर, नोटिस के बाद एक्शन में क्यों है सुस्ती.

Madhya Pradesh News: क्या जब कोई सागर जैसी बड़ी घटना घटेगी तभी कार्रवाई और जांच होगी. घटना के पहले कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? जब प्रशासन को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है. छतरपुर जिले में बहुत से स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं कि जिनकी हालत जर्जर हैं, फिर भी उसी भवन पर स्टूडेंट्स बैठ रहे हैं.  कुछ दिन पहले एक मामला सामने आया था सागर जिले में, जब एक मंदिर की दीवार गिरने से बच्चों की मौत के बाद छतरपुर में जिला प्रशासन ने गंभीरता दिखाई थी. जर्जर भवनों को चिन्हांकित करने के तत्काल आदेश जारी किए गए.

क्यों नहीं हो रही कार्रवाई 

आदेश जारी होते ही जिलेभर में करीब डेढ़ सौ भवन ऐसे चिन्हांकित हुए जिनको लोक निर्माण विभाग भी अपनी जांच पड़ताल में कंडम बता चुका है. इन सभी भवनों की लिस्ट जिला प्रशासन को भी भेजी जा चुकी है. लेकिन चिन्हांकित होते हुए भी दो चार जगहों पर तो कार्रवाई हुई, उसके बाद मामले में सुस्ती बरती गई. अभी बारिश का सीजन चल रहा है, जिलेभर में दर्जनों भवन ऐसे हैं, जहां सालों पुराने जर्जर भवनों में लोग रह रहे हैं या दुकानें संचालित कर रहे हैं.

कहां फंसा है फेंच

इस मामले पर विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिनका कार्यालय या मकान जर्जर घोषित हुआ है, उसे स्वयं को तोड़ना होगा. इस तरह की कार्रवाई में पेंच फंस सा गया. क्योंकि लोग भले ही जर्जर मकान हो, लेकिन उसे तोड़ना नहीं चाहते हैं. नौगांव क्षेत्र में एक पुरानी बिल्डिंग को कंडम घोषित किया गया, जिसे नगर पालिका ने नोटिस भी जारी किया है. लेकिन मकान मालिक उसे तोड़ना ही नहीं चाहता. जबकि बिल्डिंग में नीचे दुकानें संचालित होती हैं.

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यहां एक साथ संचालित हो रही इतनी कक्षाएं

जनपद राजनगर के हाई सेकेंडरी स्कूल के बच्चे कक्षा 6 से लेकर आठ तक एक साथ बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. इस स्कूल की बिल्डिंग का सर्वे भी नहीं किया गया. टीचर बताते हैं कि हम इस पेड़ के नीचे ही सभी क्लासें लगते हैं. क्योंकि बिल्डिंग में गिरने का डर बना होता है.

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