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This Article is From Sep 20, 2024

40 % बच्चे बौने, 27% का वजन कम, 8 रुपये में MP के नौनिहाल कैसे बनेंगे बलवान ?

मध्यप्रदेश देश के सबसे ज्यादा शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों वाले राज्य में शुमार है, इसके बावजूद यहां बच्चों को पोषण देने के मामले में लापरवाही देखने को मिल रही है. हालत ये है कि राज्य के 97 हजार आंगनबाड़ियों के 65 लाख बच्चों में से 40 फीसदी बच्चे बौने हैं और 27 फीसदी का वजन कम है. राज्य सरकार अब केन्द्र सरकार से बजट बढ़ाने की मांग कर रही है..क्या हैं हालात पढ़िए इस रिपोर्ट में

40 % बच्चे बौने, 27% का वजन कम, 8 रुपये में MP के नौनिहाल कैसे बनेंगे बलवान ?

Malnutrition Problem in MP : शुक्रवार को एक तस्वीर आई जिसने पूरे मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh News) का ध्यान अपनी ओर खींचा...दरअसल राज्य के उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) ग्वालियर के सरकारी स्कूल में बने मिड-डे मील (Mid Day Meal) का जायजा लेने पहुंचे थे. वहां उन्होंने बच्चों के साथ खाना खाने का फैसला लिया. जब उनके सामने खाना परोसा गया तो वे सब्जी में आलू ढूंढते नजर आए. लेकिन अफसोस  उन्हें सोयाबीन-आलू की सब्जी में सिर्फ पानी ही मिला. गुस्साए मंत्री जी ने सख्त एक्शन लिया.

दरअसल सच्चाई ये है कि मध्यप्रदेश में ऐसी ही लापरवाहियों की वजह से सिर्फ कागजों में ही 1.36 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. एक तो अधिकारियों की लापरवाही दूसरे अटपटी नीतियों ने हालात को खराब बना रखा है. आप ये जान कर चौंक जाएंगे कि  राज्य में छह साल के बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र में प्रति बच्चे सरकार का बजट 8 रुपये है. यदि बच्चा गंभीर रुप से कुपोषित है तो उसके लिए प्रति बजट 12 रुपये है. यानी आज जहां मार्केट में पानी की एक साधारण बोतल ही 10 रुपये में उपलब्ध है वहां बच्चों को पोषण देने का बजट महज 8 रुपये है ? सवाल है कि जहां फूल क्रीम दूध ही 33 रुपये का मिलता है वहां गंभीर तौर पर कुपोषित बच्चों का बजट 12 रुपये कैसे हो सकता है ?  हालात का अंदाजा आप केन्द्र सरकार (Central Government) की जून 2024 में आई रिपोर्ट से भी लगा सकते हैं. 

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बता दें कि 2 साल पहले NDTV ने पोषण आहार में हो रहे गड़बड़झाले का खुलासा किया था. इसमें हमने बताया था कि राज्य में कैसे  पोषण आहार को कागजों में मोटरसाइकिल, कार, ऑटो और टैंकर से भेजा जा रहा है. तब इस खबर में देशभर में सुर्खियां बटोरी थी. इसके बाद हालात कुछ बदले जरूर लेकिन अब फिर स्थिति खराब होती जा रही है. 30 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम के तहत जारी आंकड़े तस्वीर और साफ करते हैं.  

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मध्यप्रदेश सरकार ने कुपोषण उन्मूलन के लिए विजन 2047के तहत कुछ प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए हैं. कहा जा रहा है 2025 तक 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ठिगनापन 33% से कम, वजन 25% से कम, दुबलापन 8% से कम, और गंभीर दुबलापन 5% से कम करने का लक्ष्य है. लेकिन फिलहाल पैसों की कमी के लिये केन्द्र को जिम्मेदार बताया जा रहा है. महिला बाल विकास मंत्री  निर्मला भूरिया का कहना है कि ये केन्द्र सरकार तय करती है कि कितना पैसा देना है. ये केन्द्र की जिम्मेदारी है कि वो दरें बढ़ाए. हम इसकी मांग भी करते हैं. अभी राज्य में पोषण माह चल रहा है जिसके तहत हम बेहतर पोषण देने का काम कर रहे हैं.

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अच्छी बात येहै कि प्रदेश में आंगनबाड़ियों के बच्चों की सेहत सुधारने के लिए सरकार बदलाव करने की योजना बना रही है. अब बच्चों को सप्ताह में एक बार मोटे अनाज से बनी चीजें और सोयाबीन की बर्फी दी जाएगी. जबकि अभी सोयाबीन से बनी बर्फी केवल गर्भवती महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को दी जाती है. 

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