Jal-Jeevan Mission Project: मध्य प्रदेश के मैहर (Maihar) में आठ महीने पहले 1500 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुई जल जीवन मिशन की परियोजना (Jal-jeevan Mission) से ग्रामीण क्षेत्रों में 15 दिन भी सप्लाई नहीं हो पाई. श्रेय लेने के लिए तत्कालीन राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल ने विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunaw) से पहले लोकार्पण तो कर दिया था, लेकिन अब यह परियोजना केवल बकरी-गाय बांधने के ही काम आ रही है.
दावों की खुल रही पोल
गांव-गांव मीठा पानी पहुंचाने के नाम पर शुरू की गई नल-जल योजना की जमीनी हकीकत यही है कि गांव में लगाई गई नल की टोंटी से अभी भी हवा ही आ रही है. दावा किया जा रहा है कि रामनगर के मार्कंडेय घाट से रामनगर, मैहर, अमरपाटन और उचेहरा के लगभग 1019 गांव में यह पानी पहुंचेगा. शुरूआत में मैहर के सुकवारी और रामनगर के सुलखमां गांव को सप्लाई कर ट्रायल किया गया था. वहीं अब इस गांव में भी पानी की बूंद नसीब नहीं हो पा रही है. बता दें कि सात अक्टूबर को हुए लोकार्पण में राज्यमंत्री ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा था कि आज से 35 टंकियों में इसका पानी जाना शुरू हो जाएगा. लेकिन सच्चाई इसके विपरित ही दिखाई दे रही है. मंत्री के द्वारा किए गए दावे की पोल सप्लाई के लिए बनाए गए नल और ग्रामीण खोल रहे हैं. ठेका कंपनी, अधिकारी और नेताओं ने इस महत्वपूर्ण योजना के नाम पर सिर्फ दिखावा ही किया.
करीब एक हजार गांव में भेजना था पानी
घर-घर पानी देने के शुरु की गई नल-जल योजना के तहत मैहर जिले के अंतर्गत मार्कण्डेय में इसका टनल बनाया गया. जहां से पानी सप्लाई की पृष्ठभूमि तैयार की गई. 15 सौ करोड़ रुपए की लागत की इस योजना में 1 हज़ार से भी ज्यादा गांवो में पानी दिया जाना है. जिसके लिए घर-घर नल लगाए गए और पाइप लाइन बिछाने का काम किया गया. वहीं इस योजना का काम सालों चलने के बाद आज भी पूरा नहीं हो सका है. विभागीय सूत्रों की मानें तो 2021 में इस प्रोजेक्ट को पूरा होना था, लेकिन अब तक यह काम पूरा नहीं हो पाया है.
इस परियोजना से पांच विकासखण्ड में पानी पहुंचाने के उद्देश्य से इस योजना को शुरू किया गया. ये बात बिल्कुल सही है की योजना अपने निर्धारित समय से काफी पीछे है पाईपाईन भी बिछ गई एक दो माह का समय और लगेगा.
गणेश सिंह, सांसद , सतना
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उद्घाटन के दिन ही मिला पानी
लोकार्पण करने के बाद कहा गया कि 267 गांवो में करीब 40 हजार घरों में इसका पानी जाना शुरू हो गया है. जमीनी हकीकत क्या है इसकी पड़ताल करने के लिए NDTV की टीम उन गांवों में पहुंची और ग्रामीणों से बात की तो पता चला कि 8 अक्टूबर को इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया गया. उसी दिन नल में पानी देखने को मिला. जिसके बाद से अब तक एक बूंद भी पानी नहीं मिला है. ग्रामीणों ने बताया कि नल जल योजना के तहत गांव में पाइप लाइन बिछा कर नल तो लगा दिया है, लेकिन पानी के लिए आज भी 2 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. यहां के नल जानवर बांधने के काम आ रहे हैं. सरकार ने अपनी वाहवाही लूटने के लिए लोकार्पण तो कर दिया, लेकिन एक बूंद पानी तक नसीब नहीं हो रहा है.
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